भारत की 22 क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध होगी ‘NCERT’ की पाठ्य पुस्तकें

स्कूल में पढ़ाई जाने वाली एनसीईआरटी पाठ्य पुस्तकें (NCERT Text Books) भारत की क्षेत्रीय भाषाओं (regional languages) में उपलब्ध होगी।

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  • Updated On - March 27, 2023 / 08:46 PM IST

नई दिल्ली, 27 मार्च (आईएएनएस)| स्कूल में पढ़ाई जाने वाली एनसीईआरटी पाठ्य पुस्तकें (NCERT Text Books) भारत की क्षेत्रीय भाषाओं (regional languages) में उपलब्ध होगी। शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक इन पाठ्य पुस्तकों को भारत की 22 विभिन्न भाषाओं उपलब्ध कराए जाने की योजना बनाई गई है। शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं में नई एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों को विकसित किया जाएगा।

शिक्षा मंत्रालय की इस महत्वपूर्ण परियोजना का उद्देश्य देशभर के छात्रों को उनकी ही क्षेत्रीय अथवा मातृभाषा में शिक्षा उपलब्ध कराना है। पुस्तकों को क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराने के विषय पर सोमवार को मंत्रालय में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस बैठक की अध्यक्षता की।

नई राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा और एनईपी 2020 पर आधारित नई पाठ्यपुस्तकों पर हुई इस महत्वपूर्ण बैठक कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई। बैठक में स्कूली शिक्षा सचिव संजय कुमार, एनसीईआरटी के वरिष्ठ अधिकारियों और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा पर राष्ट्रीय संचालन समिति के सदस्यों ने भाग लिया।

बैठक के दौरान केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं में पाठ्यपुस्तकों को विकसित करने के लिए कहा। यह बहुभाषा शिक्षा प्रदान करने के राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के परिप्रेक्ष्य के अनुरूप होगा। प्रधान ने यह भी कहा कि एनसीईआरटी द्वारा विकसित शिक्षण-शिक्षण सामग्री ‘जादुई पिटारा’ को खुले शिक्षा संसाधनों के रूप में हर स्कूल तक पहुंचाने के लिए आगे बढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसे एक जन आंदोलन बनाने की आवश्यकता है।

गौरतलब है कि बीते दिनों शिक्षा मंत्रालय ने 3 से 8 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए खेल-आधारित शिक्षण-अध्यापन सामग्री ‘जादुई पिटारा’ लॉन्च की है। राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा के तहत विकसित ‘जादुई पिटारा’ 13 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है।

जादुई पिटारा में यह सुनिश्चित किया गया है कि केवल किताबें ही नहीं, बल्कि सीखने और सिखाने के लिए अनगिनत संसाधनों का उपयोग किया जाना है। जैसे कि खिलौने, पहेलियां, कठपुतलियां, पोस्टर, फ्लैश कार्ड, वर्कशीट्स और आकर्षक किताबें, स्थानीय परिवेश जादुई पिटारा में ये सभी समाहित हैं।

जादुई पिटारा के अंतर्गत कक्षा 1 और 2 पर लागू (उम्र 6-8 साल) बच्चे खेलते, मजे करते हुए सीखेंगे। खास तौर पर 5 क्षेत्रों में सीखना और विकास शामिल होगा इनमें शारीरिक विकास, सामाजिक-भावनात्मक नैतिक विकास, संज्ञानात्मक विकास, भाषा एवं साक्षरता विकास, सुरुचिपूर्ण एवं सांस्कृतिक विकास, सीखने की सकारात्मक आदतों को इस चरण में विकास के एक अन्य क्षेत्र के रूप में शामिल किया गया है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्लेबुक, खिलौने, पहेलियां, पोस्टर, फ्लैश कार्ड, कहानी की किताबें, वर्कशीट के साथ-साथ स्थानीय संस्कृति, सामाजिक संदर्भ और भाषाओं को मिलाकर बना ‘जादुई पिटारा’ जिज्ञासा को बढ़ाने और लोगों की विविध आवश्यकताओं को समायोजित करने के लिए डिजाइन किया गया है।