1956 में मथुरा में जन्मे प्रसाद पखावज वादकों के मथुरा घराने से ताल्लुक रखते थे और उन्होंने अपने पिता बाबूलालजी से कला सीखी थी।
वह यूपी संगीत नाटक अकादमी के कथक केंद्र में नौकरी करने के बाद 1989 में लखनऊ आ गए, जहां से वे 2014 में सेवानिवृत्त हुए। प्रसाद को पखावज वादन को बढ़ावा देने के लिए 2005 में प्रतिष्ठित यूपीएसएनए पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
एक नियमित दूरदर्शन कलाकार और रेडियो कलाकार प्रसाद ने लखनऊ और झांसी महोत्सव सहित देश भर के विभिन्न उत्सवों में प्रस्तुति दी।
मंच पर प्रसाद के आकस्मिक निधन से लोग सदमें आ गए। तबला वादक इलियास हुसैन खान ने कहा कि कार्यक्रम के दौरान वह उनके ठीक बगल में बैठे थे। दिनेश जी ने मुझे ‘कार्यक्रम मत रोको, मैं ठीक हो जाऊंगा’ भी कहा, लेकिन वह अचानक गिर गए। हमने उन्हें लगातार सीपीआर दिया, लारी कॉर्डियोलॉजी सेंटर ले जाया गया, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ।
प्रसाद के बेटे पीयूष ने कहा, मेरे पिता दिल के मरीज थे। उन्हें पहले भी दिल का दौरा पड़ा था, लेकिन उनकी तबीयत स्थिर थी। पूरा परिवार सदमे में है। वह अपने प्रदर्शन की पूरी तैयारी के साथ कार्यक्रम में गए थे और एक दिन पहले रिहर्सल भी की थी।