एसडीएम कोर्ट के पेशकार ने सैकड़ों मुकदमे फर्जी हस्ताक्षर से निपटा डाले
By : madhukar dubey, Last Updated : November 30, 2024 | 7:44 pm
प्रयागराज । एसडीएम कोर्ट के पेशकार(SDM court clerk) ने राजस्व के सैकड़ों मुकदमे एसडीएम के फर्जी हस्ताक्षर से निपटा(Hundreds of cases settled due to fake signature of SDM) डाले। जांच में छह साल पुराने फैसले पकड़े गए हैं, जिनमें उसने मनचाहे आपत्तियां लगाईं और स्टे आदेश दिए।
इस बीच कई अफसर आए-गए, किसी को खबर ही नहीं हुई। पेशकार को न्यायिक कार्य से हटाते हुए एडीएम ने डीएम से कार्रवाई की सिफारिश की है। कोरांव एसडीएम कोर्ट में लंबे समय से पेशकार हनुमान प्रसाद कब से एसडीएम के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर फैसले जारी कर रहा था, इसकी विस्तृत जांच होनी बाकी है। एडीएम मदन कुमार ने शुरुआती जांच में दर्जनों मामलों की फर्जी ऑर्डर शीट पकड़ी हैं। इस खेल का खुलासा हुआ, अयोध्या गांव के निवासी रामराज मिश्र की शिकायत से। रामराज ने लिखा कि ग्राम सभा कैथवल के तीन राजस्व मुकदमों को पेशकार ने एसडीएम कोरांव के फर्जी हस्ताक्षर कर निस्तारित किया है। जांच में पता चला कि पेशकार वर्षों से यह खेल कर रहा है। जिन मुकदमों में पीठासीन अधिकारी (एसडीएम) ने कोई निर्णय नहीं लिया, हस्ताक्षर भी नहीं किए, उन्हें पेशकार ने जारी कर दिया है।
फर्जीवाड़ा पकड़ा गया
ऐसा सिर्फ तीन जुलाई, आठ अगस्त-24 को ही नहीं हुआ, बल्कि दूसरी तिथियों में भी फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है। कंप्यूटरीकृत ऑर्डर शीट में भी छेड़छाड़ मिली है। दो नवंबर 2018 की एक आर्डर शीट पर लिखा है, दोनों पक्षों की सहमति से पत्रावली आदेश के लिए सुरक्षित की गई है, लेकिन इसमें वादी के हस्ताक्षर हैं, न प्रतिवादी के।
दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के भी हस्ताक्षर नहीं पाए गए। पांच नवंबर 2018 के टाइप आदेश पर ओवर राइटिंग करके आपत्ति लगाई गई है। तीन जुलाई-24 को रामनायक बनाम मिश्रीलाल के मुकदमे में स्थगन आदेश पर भी एसडीएम के फर्जी हस्ताक्षर से आपत्ति लगाई गई है।
16 दिसंबर 2022 को एक न्यायिक मामले में लेखपाल का बयान दाखिल नहीं किया गया, लेकिन इसका फर्जी उत्तर जारी कर दिया गया। पेशकार के कारनामे सामने आने पर एडीएम ने उससे तीन दिन के भीतर स्पष्टीकरण देने को कहा, लेकिन 20 दिन बाद भी उसने जवाब नहीं दिया
आरोप सत्य और मान्य
एडीएम ने शुक्रवार को जारी आदेश में कहा है कि स्पष्टीकरण नहीं देने से साफ है कि पेशकार पर लगाए गए आरोप सत्य और मान्य हैं। पेशकार हनुमान प्रसाद का कृत्य उत्तर प्रदेश कर्मचारी आचरण नियमावली के विपरीत तो है ही, उच्चाधिकारियों की ओर से दिए गए आदेशों की अवहेलना भी है। एडीएम ने डीएम को रिपोर्ट भेजते हुए कार्रवाई की संस्तुति की है।
मंत्री-सांसद के लिखने पर भी कार्रवाई नहीं
औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने पेशकार हनुमान प्रसाद के खिलाफ फर्जी फैसले जारी करने की शिकायत आने पर दो अगस्त को डीएम को कार्रवाई करने के लिए लिखा था। इलाहाबाद सांसद उज्जवल रमण सिंह ने भी पेशकार को हटाने के लिए डीएम कार्यालय को पत्र लिखा। लेकिन, मंत्री-सांसद तक की संस्तुतियां दबा दी गईं। साफ है कि समानांतर एसडीएम कोर्ट चलाने वाले पेशकार की डीएम कार्यालय तक कितनी गहरी पैठ है।
एसडीएम ने ये कहा
कोरांव की एसडीएम आकांक्षा सिंह ने कहा पेशकार के कारनामे की जानकारी मिलते ही मैंने उसे न्यायिक कार्य से मुक्त कर दिया था। मुझे पता चला है कि एडीएम ने पेशकार के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की है। मैंने बीती नौ जुलाई को ही कोरांव का कार्यभार ग्रहण किया है। जिन पत्रावलियों में हेराफेरी की गई है, वह पूर्ववर्ती अधिकारियों के कार्यकाल की।
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