काशी विश्वनाथ धाम में कैमरा की अनुमति नहीं मिलने के कांग्रेस के आरोप को मंदिर प्रशासन ने किया खारिज

By : hashtagu, Last Updated : February 17, 2024 | 9:15 pm

नई दिल्ली, 17 फरवरी (आईएएनएस)। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन (Darshan in Kashi Vishwanath Temple) के दौरान कैमरे की अनुमति नहीं मिलने के कांग्रेस के आरोपों को वाराणसी प्रशासन ने सिरे से खारिज कर दिया है। कांग्रेस का आरोप है कि उनकी टीम को कैमरा लेकर मंदिर में एंट्री नहीं करने दी गई। साथ ही फोटो नहीं जारी करने का दावा किया। कांग्रेस के इन आरोपों को मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा ने निराधार बताते हुए उनके दावों की पोल खोल दी।

आईएएनएस से बात करते हुए विश्व भूषण मिश्रा में बताया कि कांग्रेस की तरफ से कैमरे की कोई परमिशन मांगी नहीं गई थी और न कोई परमिशन निरस्त की गई है। उन्होंने बताया कि राहुल गांधी के मंदिर में दर्शन करने की जानकारी दी गई थी। लेकिन, कैमरे के लिए कोई अनुमति नहीं मांगी गई थी।

विश्व भूषण मिश्रा ने कहा कि मंदिर प्रशासन की तरफ से हमारा एक कैमरामैन होता है जो कि फोटो जारी करते हैं, सामान्यतः विशिष्ट लोग आते हैं तो हमारा प्रयास होता है और वो रिकॉर्ड के लिए हम अपने पास रखते हैं। जितनी फोटो थी, वो उपलब्ध करवा दी है।

  • मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने कहा, राहुल गांधी के दर्शन के दौरान हंगामा हुआ था और फोटो खिंचने वाला माहौल ही नहीं था।
  • दरअसल, यूपी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय और कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मीडिया से बात करते हुए इसकी जानकारी दी। अजय राय ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा का कोई भी नेता मंदिर आता है तो मंदिर प्रशासन उनको कैमरा अंदर ले जाने की अनुमति देता है। उनकी सारी फोटो देते हैं। राहुल गांधी को कैमरा के साथ मंदिर आने की परमिशन नहीं दी गई और मंदिर प्रशासन की तरफ से कोई फोटो जारी नहीं की गई।
  • इससे पहले शनिवार को कांग्रेस पार्टी ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर लिखा, आज सवेरे करीब 10.30 बजे राहुल गांधी ने काशी में बाबा विश्वनाथ मंदिर में दर्शन और अभिषेक किया। अंतिम क्षणों में मंदिर में जाने के लिए हमारे कैमरा को मिली अनुमति निरस्त कर दी गई। ज़िला प्रशासन ने आश्वस्त किया कि मंदिर के कैमरापर्सन द्वारा फोटो साझा की जाएगी।

कांग्रेस ने आगे कहा, ”साढ़े तीन घंटे तक लगातार प्रयास करने पर भी फोटो उपलब्ध नहीं कराई गई। फिर कुछ 7 तस्वीरें भेजी गईं, जिनमें से एक भी दर्शन करने की नहीं हैं – जबकि मंदिर के कैमरापर्सन ने फोटो खींची थीं। ऐसा करके वाराणसी के जिला प्रशासन ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि वह दिल्ली में बैठे ‘कैमराजीवी’ के मुलाजिम से ज़्यादा और कुछ नहीं। यह राजनीति और चाटुकारिता नहीं ओछापन है- पर याद रहे शिव के भक्त को न उनके संकल्प से, न न्याय के इस महासंग्राम से कोई ताकत रोक सकती है। बाबा विश्वनाथ सबका भला करें, दुष्टों को सन्मति दें।”

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