वक्फ संशोधन कानून पर केंद्र की सबसे बड़ी दलील: ‘धर्मनिरपेक्ष है वक्फ, रोक का कोई आधार नहीं’

By : hashtagu, Last Updated : May 21, 2025 | 11:47 am

नई दिल्ली, 21 मई 2025 : केंद्र सरकार ने मंगलवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपनी सबसे मजबूत दलील पेश करते हुए कहा कि वक्फ (Waqf) अपने स्वभाव में ‘‘धर्मनिरपेक्ष अवधारणा’’ है और इसके संचालन पर रोक लगाने की कोई तात्कालिक आवश्यकता नहीं है। केंद्र ने स्पष्ट किया कि यह कानून धार्मिक स्वतंत्रता को बनाए रखते हुए, वक्फ संपत्तियों के प्रशासन के धर्मनिरपेक्ष पहलुओं को सुव्यवस्थित करने के लिए लाया गया है।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अनुपस्थिति में प्रधान न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने लिखित रूप में केंद्र का पक्ष रखा। उन्होंने अदालत को यह बताया कि संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून पर रोक तभी लग सकती है जब कोई ठोस संवैधानिक आधार और मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की स्पष्ट दलील हो — जो इस मामले में मौजूद नहीं है।

केंद्र के लिखित नोट में कहा गया, “कानून में यह स्थापित है कि संवैधानिक अदालतें किसी वैधानिक प्रावधान पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोक नहीं लगातीं जब तक कि अंतिम निर्णय न आ जाए। केवल शुरुआती आपत्तियों के आधार पर क्रियान्वयन रोकना गलत परंपरा होगी।”

केंद्र ने तीन प्रमुख बिंदुओं पर न्यायालय को ध्यान दिलाया:

  1. धारा 3 (आर) — जो “उपयोग के आधार पर वक्फ” की अवधारणा को समाप्त करती है।

  2. धारा 3 (सी) — जो सरकारी संपत्ति को वक्फ घोषित करने की प्रक्रिया से बाहर रखती है।

  3. वक्फ बोर्डों की संरचना — जिसमें सीमित रूप से गैर-मुस्लिम प्रतिनिधियों को शामिल करने की अनुमति दी गई है।

इन प्रावधानों को लेकर अदालत के अंतरिम निर्देश की मांग करने वालों पर निशाना साधते हुए केंद्र ने कहा कि कोई भी अस्थायी आदेश, जो कानून को रोक दे, वो बिना स्पष्ट संवैधानिक आपत्ति के केवल भ्रम पैदा करेगा और प्रशासनिक अस्थिरता बढ़ाएगा।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता बुधवार को भी अपनी बहस जारी रखेंगे। सरकार ने जोर दिया कि वक्फ अधिनियम में संशोधन से धार्मिक अधिकारों का हनन नहीं होता, बल्कि इसके जरिए पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की गई है — और इसीलिए इसकी संवैधानिक वैधता को चुनौती नहीं दी जा सकती।