तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता दिए जाने का फैसला शरीयत से अलग : मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

सुप्रीम कोर्ट की ओर से तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता दिये जाने के फैसले पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एतराज जताया है।

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  • Updated On - July 14, 2024 / 07:09 PM IST

नई दिल्ली, 14 जुलाई (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट की ओर से तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता (Alimony to Muslim women) दिये जाने के फैसले पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (Muslim Personal Law Board) ने एतराज जताया है। सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले के विरोध में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की वर्किंग कमेटी की बैठक रविवार को दिल्ली में हुई।

बैठक के बाद कमेटी ने कहा कि “तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता दिये जाने का फैसला शरीयत से अलग है। मुसलमान शरीयत से अलग नहीं सोच सकता है। हम शरीयत के पाबंद हैं। हमारे लिए इससे अलग सोचना गलत होगा। जब किसी शख्स का तलाक हो गया, तो फिर गुजारा भत्ता कैसे मुनासिब है।”

कमेटी ने कहा कि “भारत का संविधान हमें हक देता है कि हम अपने धार्मिक भावनाओं और मान्यताओं के हिसाब से रह सकते हैं, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का फैसला हम लोगों के हित में नहीं है। शादी-विवाह के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला दिक्कत पैदा करेगा।”

10 जुलाई को तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि अब तलाकशुदा मुस्लिम महिलाएं सीआरपीसी की धारा-125 के तहत याचिका दायर कर अपने पति से भरण-पोषण के लिए भत्ता मांग सकती हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि यह फैसला हर धर्म की महिलाओं पर लागू होगा और मुस्लिम महिलाएं भी इसका सहारा ले सकती हैं। इसके लिए उन्हें सीआरपीसी की धारा-125 के तहत कोर्ट में याचिका दाखिल करने का अधिकार है। इस संबंध में जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने फैसला सुनाया है।

यह मामला अब्दुल समद नाम के व्यक्ति से जुड़ा हुआ है। बीते दिनों तेलंगाना हाईकोर्ट ने अब्दुल समद को अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था। इसके विरोध में अब्दुल समद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की।