चेन्नई, 7 सितंबर (आईएएनएस)। सनातन धर्म (Sanatan Dharm) पर अपनी टिप्पणी को लेकर विवादों में आए तमिलनाडु के खेल और युवा मामलों के मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने इस मुद्दे पर अपनी स्थिति के बारे में डीएमके कैडरों को चार पन्नों का एक खुला पत्र लिखा है।
द्रविड़ समानता के अपने रुख पर कायम रहते हुए, मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के बेटे उदयनिधि ने कहा, ”डीएमके किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं है।”
दिवंगत द्रमुक विचारक और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री सी.एन.अन्नादुरई का हवाला देते हुए उदयनिधि ने कहा कि ‘यदि कोई धर्म समानता और जातिविहीन समाज की वकालत कर रहा है, तो वह एक आध्यात्मिक व्यक्ति बन जाएंगे, लेकिन यदि कोई धर्म जातिवाद को बढ़ावा दे रहा है, तो वह इसका विरोध करने वाले पहले व्यक्ति होंगे।’
उदयनिधि स्टालिन ने राज्य सरकार से अयोध्या के संत परमहंस के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने का भी अनुरोध किया, जिन्होंने “उनका सिर काटने वाले को 10 करोड़ रुपये का इनाम” देने की घोषणा की है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से संत परमहंस का पुतला जलाने का भी आह्वान नहीं किया।
द्रमुक के युवा वंशज ने यह भी कहा कि भाजपा उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश करने की कोशिश कर रही है और यहां तक कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी उनकी टिप्पणियों को तोड़-मरोड़कर पेश किया है।
गौरतलब है कि उदयनिधि स्टालिन ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा था कि सनातन धर्म को “मच्छर, डेंगू, मलेरिया और कोरोना की तरह ही खत्म करना होगा।”
बीजेपी ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाया था और पार्टी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा था कि उदयनिधि ने देश में हिंदुओं के उन्मूलन का आह्वान किया।