बेंगलुरु, 14 फरवरी (आईएएनएस)| (Karnataka High Court) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में कहा है कि बेरोजगार पति को पत्नी को गुजारा भत्ता (alimony to wife) देने के लिए नौकरी ढूंढनी चाहिए। सोमवार को फैसला सुनाते हुए जस्टिस एम. नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने कहा, पति का यह कर्तव्य है कि वह अपनी पत्नी और बच्चों को गुजारा भत्ता प्रदान करे। इसलिए, यदि वह बेरोजगार है, तो उसे नौकरी ढूंढनी चाहिए और कमाई करनी चाहिए। पीठ ने मैसूर की एक पारिवारिक अदालत द्वारा इस संबंध में दिए गए फैसले पर सवाल उठाने वाली व्यक्ति की याचिका को खारिज कर दिया। उस शख्स के वकील ने कहा था कि याचिकाकर्ता बीमार है। उसके पास नौकरी नहीं है। इसलिए वह गुजारा भत्ता देने की स्थिति में नहीं हैं।
तर्क को खारिज करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि यह स्वीकार्य नहीं है कि पति अपनी पत्नी को 10 हजार रुपये मासिक मुआवजा देने की स्थिति में नहीं है। पीठ ने दोहराया कि वह काम करने के लिए पर्याप्त रूप से फिट है और उसे नौकरी ढूंढना चाहिए और मुआवजे का भुगतान करना चाहिए।
स्थानीय पारिवारिक अदालत ने पत्नी को 6,000 रुपये और बच्चे को 4,000 रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया था। पीठ ने आगे कहा कि 10,000 रुपये कोई बड़ी रकम नहीं है। आदमी का यह तर्क कि वह राशि देने की स्थिति में नहीं है, केवल एक बहाना है।