नई दिल्ली। छठ पूजा और बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar elections) से पहले दिल्ली के रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों का सैलाब उमड़ पड़ा है। शनिवार सुबह आनंद विहार टर्मिनल का प्लेटफॉर्म नंबर 2 यात्रियों से खचाखच भरा दिखा, जहां पूर्वांचल एक्सप्रेस (ट्रेन नंबर 15047) बिहार के सहरसा के लिए रवाना होने वाली थी। हर डिब्बे में लोग किसी तरह जगह बना रहे थे — कोई बोरा और टिफिन पकड़कर खड़ा था, तो कोई बच्चों को गोद में संभाले।
22 वर्षीय सुमित पासवान, जो नोएडा में इलेक्ट्रिशियन का काम करते हैं, ट्रेन की सीढ़ी पर लटकते हुए बोले, “सोचा था थोड़ा लेट जाएंगे तो भीड़ कम होगी और सीट मिल जाएगी… लेकिन अब तो खड़े होने की भी जगह नहीं है।” पास ही खड़े विजय ठाकुर (30) ने हंसते हुए कहा, “भैया, अब तो छठ और वोट दोनों के बाद ही लौटेंगे।”
दिल्ली की एक गारमेंट फैक्ट्री में काम करने वाले संदीप यादव (35) ने बताया कि उन्होंने टिकट के लिए एक महीने पहले कोशिश की थी, पर कन्फर्म सीट नहीं मिली। “अब 12 लोग 7 टिकट पर सफर कर रहे हैं, क्या करें, घर जाना जरूरी है। मां छठ कर रही है और वोट भी डालना है,” उन्होंने कहा। ट्रेन के रवाना होते ही कई लोग दरवाजों और खिड़कियों पर लटकते नजर आए।
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, त्योहारी भीड़ को देखते हुए रेलवे ने 1,400 से ज्यादा विशेष ट्रेनें चलाई हैं, लेकिन स्टेशन पर हालात संभालना मुश्किल हो रहा है। प्लेटफॉर्म पर आरपीएफ और जीआरपी के जवान लगातार यात्रियों को लाइन में रखने की कोशिश कर रहे हैं।
पूर्वी दिल्ली के लक्ष्मीनगर में रहकर नौकरी करने वाले राजेश चौधरी (28) बोले, “हम तो सिर्फ वोट देने और छठ में भाग लेने जा रहे हैं। पांच साल में एक बार मौका मिलता है, इसलिए चाहे भीड़ हो या नहीं, जाना ही पड़ेगा।”
बिहार में मतदान दो चरणों में — 6 और 11 नवंबर को होगा, जबकि 14 नवंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे। कई लोग अब वोट डालने के बाद ही वापस दिल्ली लौटने की योजना बना रहे हैं।
दोपहर बाद नई दिल्ली स्टेशन पर भी यही नजारा दिखा। जनसंपर्क सुपरफास्ट एक्सप्रेस (ट्रेन नंबर 15410) के आने से पहले ही प्लेटफॉर्म पर सैकड़ों लोग जमा थे। आरपीएफ कर्मी लाउडस्पीकर से बार-बार घोषणा कर रहे थे, “लाइन के पीछे रहिए, ट्रेन आने वाली है।”
रवि झा (25), जो पटना के रहने वाले हैं और दिल्ली में कंप्यूटर कोचिंग चलाते हैं, बोले — “दीवाली पर नहीं जा सका, अब छठ और वोट दोनों के लिए जा रहा हूं। उम्मीद है, इस बार गांव में छठ घाट पर मां के साथ सूरज को अर्घ्य दूंगा।”
वहीं, प्रकाश यादव (26), जो गाजियाबाद की एक ऑटो पार्ट्स फैक्ट्री में काम करते हैं, ने कहा — “मालिक से बहुत मिन्नत करनी पड़ी छुट्टी के लिए। बोले, भीड़ में मत जाना… लेकिन अब तो घर की याद रोकना मुश्किल है।”
भीड़, गहमागहमी और उम्मीदों के बीच, दिल्ली से बिहार लौटती हर ट्रेन अब सिर्फ यात्रियों की नहीं, बल्कि अपनी मिट्टी से जुड़ने की चाह लिए प्रवासियों की कहानी बन चुकी है।
