नई दिल्ली, 26 सितंबर (आईएएनएस)। इस वर्ष के अंत तक देश के पांच राज्यों- मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा का चुनाव (Assembly Elections) होना है। मध्य प्रदेश में वर्तमान में भाजपा की सरकार है और शिवराज सिंह चौहान राज्य के मुख्यमंत्री है। वहीं राजस्थान और छत्तीसगढ़, दोनों ही राज्यों में इस समय कांग्रेस की सरकारें हैं।
राजस्थान में कांग्रेस के अशोक गहलोत मुख्यमंत्री हैं और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के भूपेश बघेल मुख्यमंत्री हैं। अशोक गहलोत और भूपेश बघेल, दोनों ही कांग्रेस आलाकमान के काफी करीबी माने जाते हैं और इसलिए भाजपा दोनों ही राज्यों में कांग्रेस को चुनाव में हराने की पुरजोर कोशिश कर रही है, ताकि गांधी परिवार को झटका दिया जा सके।
चौथे राज्य तेलंगाना में बीआरएस की सरकार है और राज्य के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव मोदी सरकार के खिलाफ तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश में जुटे हैं, भाजपा को इस बार तेलंगाना से बहुत उम्मीदें हैं, लेकिन इसके बावजूद भाजपा ने इन चारों राज्यों की जमीनी राजनीतिक स्थिति को समझते हुए सैद्धांतिक तौर पर यह तय कर लिया है पार्टी राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में विपक्ष में होने के बावजूद विधानसभा चुनाव में अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का ऐलान नहीं करेगी। यहां तक कि जिस मध्य प्रदेश में पार्टी वर्तमान में सत्ता में है, वहां भी पार्टी अपने सीएम पद के उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं करेगी।
पार्टी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना – इन चारों ही राज्यों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर सामूहिक नेतृत्व के आधार पर चुनाव लड़ेगी और चुनाव पश्चात बहुमत मिलने पर भाजपा संसदीय बोर्ड संबंधित राज्यों के विधायकों के साथ विचार-विमर्श कर सीएम का नाम तय करेगा। भाजपा ने मध्य प्रदेश में होने वाले चुनाव के मद्देनजर सोमवार को अपने 39 उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट में 3 केंद्रीय मंत्रियों सहित 7 सांसदों और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव तक को विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार घोषित कर अपने इरादे साफ कर दिए हैं, क्योंकि भाजपा ने जिन केंद्रीय मंत्रियों- नरेंद्र सिंह तोमर,फग्गन सिंह कुलस्ते और प्रल्हाद पटेल के अलावा पार्टी के जिन राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया है, उनमें से तीन मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार माने जाते हैं। इसके साथ ही पार्टी ने लोकसभा के जिन सांसदों – रीति पाठक, राकेश सिंह, गणेश सिंह और उदय प्रताप सिंह को विधान सभा के चुनावी मैदान में उतारा हैं, उनमें से एक भाजपा आलाकमान के काफी करीबी माने जाते हैं।
इन दिग्गजों को चुनावी मैदान में उतार कर पार्टी ने सीएम शिवराज के साथ साथ आम वोटरों को भी संदेश दे दिया है कि उसके पास मुख्यमंत्री पद के लिए कई विकल्प है। राजस्थान में प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया की लगातार कोशिशों और मांग के बावजूद पार्टी ने अभी तक चुनावों में उनकी भूमिका तय नहीं की है। वसुंधरा राजे सिंधिया के विरोधी गुट के कई दिग्गज यहां तक कि केंद्रीय मंत्री भी सार्वजनिक रूप से यह कह चुके हैं कि भाजपा के पास मुख्यमंत्री पद के योग्य कई व्यक्ति है और मुख्यमंत्री पद का फैसला चुनाव बाद भाजपा का संसदीय बोर्ड तय करेगा।
छत्तीसगढ़ में भाजपा आलाकमान बदलाव का फैसला काफी पहले ही कर चुका है, इसलिए रमन सिंह की बजाय अन्य नेताओं को ज्यादा आगे किया जा रहा है। तेलंगाना में पार्टी ने इसी वर्ष तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष बी. संजय कुमार को हटाकर केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया और बाद में जेपी नड्डा ने बी. संजय कुमार को अपनी राष्ट्रीय टीम में महासचिव बना कर यह साफ संकेत दे दिया कि पार्टी राज्य में कई नेताओं को बड़ा बनाना चाहती है, ताकि अलग-अलग इलाकों में उनके प्रभाव, लोकप्रियता और सांगठनिक क्षमता का सदुपयोग किया जा सके। पांचवां राज्य, पूर्वोत्तर का मिजोरम है, जहां इस वर्ष के अंत तक विधान सभा का चुनाव होना है।
मिजोरम में इस समय मिज़ो नेशनल फ्रंट की सरकार है और ज़ोरमथांगा राज्य के मुख्यमंत्री हैं। मिज़ो नेशनल फ्रंट वैसे तो एनडीए गठबंधन में शामिल रहा है, लेकिन हाल के दिनों में भाजपा के साथ उसके रिश्ते तल्ख होते जा रहे हैं। यह माना जा रहा है कि विस्तार की तमाम कोशिशों के बावजूद फिलहाल इस बार के विधानसभा चुनाव में मिज़ोरम में भाजपा को कोई बहुत बड़ा या चमत्कारी नतीजा मिलने नहीं जा रहा है।