कांग्रेस जिलाध्यक्ष पदों पर महिलाओं की होगी हिस्सेदारी? 5000 आवेदन, सिर्फ 9% महिलाएं

इस प्रक्रिया के बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रियंका गांधी के 40% महिला भागीदारी फार्मूले को इस बार जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में लागू किया जाएगा?

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  • Publish Date - October 13, 2025 / 06:57 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ कांग्रेस में जिलाध्यक्ष (District Presidents) के 41 पदों के लिए दिवाली से पहले नई नियुक्तियां होनी हैं। इन पदों के लिए अब तक 5000 से ज्यादा आवेदन आए हैं। कांग्रेस नेतृत्व का कहना है कि चयन प्रक्रिया पारदर्शी होगी और युवाओं, साफ छवि वाले नेताओं को प्राथमिकता दी जाएगी।

इस प्रक्रिया के बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रियंका गांधी के 40% महिला भागीदारी फार्मूले को इस बार जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में लागू किया जाएगा? फिलहाल जमीनी हकीकत यह है कि वर्तमान में 41 में से सिर्फ 4 जिलों में महिलाएं जिलाध्यक्ष हैं, यानी कुल प्रतिनिधित्व सिर्फ 9% का है।

2023 में 36 जिलाध्यक्षों में 6 महिलाएं थीं। 2025 में यह संख्या घटकर 4 रह गई है। वर्तमान में बलौदाबाजार से सुमित्रा धृतलहरे, महासमुंद से रश्मि चंद्राकर, सुकमा से महेश्वरी बघेल और कांकेर से सुभद्रा सलाम ही महिला जिलाध्यक्ष हैं।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा है कि चयन प्रक्रिया जारी है और मजबूत महिला कार्यकर्ताओं की तलाश हो रही है। ऑब्जर्वर जिलों में जाकर कार्यकर्ताओं से चर्चा कर रहे हैं। बैज ने भरोसा दिलाया कि महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा और योग्य उम्मीदवारों को मौका मिलेगा।

हर जिले से 6 नामों का पैनल बनाया जाएगा। हालांकि इन पैनलों में महिला दावेदारों की संख्या कम है। धमतरी से डॉ. लक्ष्मी ध्रुव, सूरजपुर से भगवती राजवाड़े और बिलासपुर से सीमा पांडेय जैसे कुछ महिला नाम सामने आए हैं, लेकिन बाकी जिलों में पुरुषों का दबदबा दिख रहा है।

कांग्रेस ने 35 से 55 वर्ष की उम्र के साफ छवि वाले नेताओं को प्राथमिकता देने की बात कही है। जिन पर आपराधिक प्रकरण नहीं है, वही चयनित होंगे। पार्टी ने ब्लॉक स्तर पर 121 बैठकें कर कार्यकर्ताओं से राय ली है। सभी जिलों से पैनल 20 अक्टूबर तक AICC को भेजे जाएंगे और अंतिम निर्णय दिल्ली से लिया जाएगा।

इस प्रक्रिया के लिए कांग्रेस ने 18 पर्यवेक्षक नियुक्त किए हैं जिनमें सुबोध कांत सहाय, अजय कुमार लल्लू, उमंग सिंगार, रेहाना रेयाज चिश्ती और सुहिना कावरे शामिल हैं। पर्यवेक्षक प्रफुल्ल गुडाधे ने कहा कि कार्यकर्ता निष्पक्ष राय दें, किसी दबाव में न आएं।

हालांकि पार्टी के अंदर सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या यह बदलाव सिर्फ चेहरों की अदला-बदली है या सच में संगठन को नया रूप देने की कोशिश? कई नाम पुराने नेताओं के ही सामने आ रहे हैं। अगर गुटबाजी और सिफारिश से ही पैनल बनते हैं, तो कांग्रेस संगठन में नया जोश लाना मुश्किल होगा।

प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश में 40% महिला टिकट देने की घोषणा की थी और संगठन में भी महिलाओं की बराबर भागीदारी की बात कही थी। अब देखना यह है कि छत्तीसगढ़ जैसे संगठित राज्य में कांग्रेस इस फॉर्मूले को लागू करती है या फिर महिलाएं सिर्फ प्रतीकात्मक भूमिका तक सीमित रहेंगी।