आर्थिक सर्वे 2023-24 : मुद्रास्फीति काफी हद तक नियंत्रण में

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार तीसरे कार्यकाल के लिए ऐतिहासिक जनादेश के साथ सत्ता में लौटी।

  • Written By:
  • Publish Date - July 22, 2024 / 01:13 PM IST

नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)। केंद्र ने सोमवार को लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण 2023-2024 पेश कर दिया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitaaraman) द्वारा प्रस्तुत और वित्त मंत्रालय के तहत आर्थिक प्रभाग द्वारा तैयार किए गए सर्वेक्षण में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए

आर्थिक प्रदर्शन का विस्तार से विश्लेषण दिया गया है। इसमें कहा गया है कि अर्थव्यवस्था का विस्तार जारी है। वित्त वर्ष 2024 में वास्तविक रूप से जीडीपी 8.2 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है। सर्वे में कहा गया है, “जून में एक नई सरकार ने पदभार संभाला।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार तीसरे कार्यकाल के लिए ऐतिहासिक जनादेश के साथ सत्ता में लौटी। अभूतपूर्व तीसरा लोकप्रिय जनादेश राजनीतिक और नीतिगत निरंतरता का संकेत देता है।

” सर्वे में कहा गया है, “भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में है और भू-राजनीतिक चुनौतियों का सामना करने में मजबूती दिखा रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था ने कोविड के बाद की अपनी रिकवरी को मजबूत किया है, जिससे आर्थिक और वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित हुई।

फिर भी, लोगों की आकांक्षाओं को देखते हुए देश के लिए परिवर्तन ही एकमात्र स्थिरता है।” रिकवरी को बनाए रखने के लिए घरेलू मोर्चे पर कड़ी मेहनत करनी होगी। व्यापार, निवेश और जलवायु परिवर्तन जैसे प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर समझौते तक पहुंचना काफी कठिन हो गया है।

सर्वेक्षण में कहा गया है कि मुख्य मुद्रास्फीति दर काफी हद तक नियंत्रण में है। हालांकि कुछ खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति दर बढ़ी हुई है। वित्त वर्ष 2024 में व्यापार घाटा वित्त वर्ष 2023 की तुलना में कम था, और वर्ष के लिए चालू खाता घाटा जीडीपी का लगभग 0.7 प्रतिशत है।

चालू खाते ने वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही में अधिशेष दर्ज किया। सर्वे में कहा गया है, विदेशी मुद्रा भंडार पर्याप्त है। सार्वजनिक निवेश के चलते पिछले कई वर्षों में पूंजी निर्माण बना है, जबकि निजी क्षेत्र ने अपनी बैलेंस शीट की समस्याओं को दूर किया और वित्त वर्ष 2022 में निवेश करना शुरू किया।

अब उसे सार्वजनिक क्षेत्र से कमान लेनी होगी और अर्थव्यवस्था में निवेश की गति को बनाए रखना होगा। सर्वे में कहा गया है कि संकेत उत्साहजनक हैं।