कर्नाटक में सत्ता संघर्ष थमा सिद्धारमैया और शिवकुमार की मीटिंग से बदली सियासत की हवा

करीब एक घंटे बाद दोनों नेता संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक साथ नजर आए। सियासी हलकों में इस संयुक्त उपस्थिति को चल रहे अंतर्कलह पर विराम लगाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।

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  • Publish Date - November 29, 2025 / 12:46 PM IST

बेंगलुरु : कर्नाटक में मुख्यमंत्री (Karnataka Chief Minister) पद को लेकर कई दिनों से चल रही सियासी खींचतान के बीच सोमवार सुबह बेंगलुरु में बड़ा राजनीतिक माहौल देखने को मिला। सुबह करीब दस बजकर पंद्रह मिनट पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने साथ में ब्रेकफास्ट किया। यह मुलाकात हाईकमान के निर्देश पर हुई।

करीब एक घंटे बाद दोनों नेता संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक साथ नजर आए। सियासी हलकों में इस संयुक्त उपस्थिति को चल रहे अंतर्कलह पर विराम लगाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।

सीएम सिद्धारमैया क्या बोले

सिद्धारमैया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ कहा कि उनके और शिवकुमार के बीच किसी तरह का मतभेद नहीं है और आने वाले समय में भी नहीं होगा। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी और जेडीएस सिर्फ झूठे आरोप लगा रही हैं और अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात कर रही हैं। हमारे पास मजबूत बहुमत है और विपक्ष के पास सिर्फ साठ सीटें हैं। उनकी कोशिश बेकार है और हम हर झूठ का जवाब देंगे।

डीके शिवकुमार का बयान

शिवकुमार ने कहा कि हाईकमान जो निर्णय लेगा, वही सभी के लिए अंतिम होगा। उन्होंने कहा कि कोई ग्रुप या गुटबाजी नहीं है और वे मुख्यमंत्री के साथ हैं। राज्य के विकास को प्राथमिकता दी जाएगी। शिवकुमार ने यह भी कहा कि कांग्रेस ने जनता से किए वादे पूरे करने की दिशा में काम शुरू कर दिया है और जनता सरकार को पूरा समर्थन दे रही है।

उन्होंने कहा कि नेतृत्व के फैसले पूरी तरह हाईकमान के हाथ में हैं और पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा उसी रूप में बनी रहेगी। उनका दावा है कि कर्नाटक 2028 में फिर कांग्रेस सरकार बनाएगा।

क्यों हो रही थी सत्ता की खींचतान

कर्नाटक की सियासत में खींचतान की वजह मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रहा विवाद है। कांग्रेस की सरकार 2023 में बनी थी और तब यह दावा किया गया था कि मुख्यमंत्री पद पर ढाई ढाई साल का रोटेशन होगा। हालांकि सिद्धारमैया गुट लगातार इस समझौते से इनकार करता रहा है और पार्टी ने भी आधिकारिक रूप से इसकी पुष्टि नहीं की।

बीस नवंबर को सिद्धारमैया सरकार के ढाई साल पूरे हो गए। इसके बाद शिवकुमार समर्थक कई विधायक दिल्ली जाकर पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मिले। सूत्र बताते हैं कि सिद्धारमैया कैबिनेट फेरबदल चाहते हैं जबकि शिवकुमार नेतृत्व परिवर्तन पर पहले फैसला चाहते हैं। यह भी चर्चा है कि यदि कैबिनेट विस्तार मंजूर हुआ तो यह संकेत होगा कि सिद्धारमैया पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा कर सकते हैं, जिससे शिवकुमार की सीएम बनने की संभावना कम हो जाएगी।