तिरुवनंतपुरम: केरल (Kerala) विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माने जा रहे निकाय चुनावों के नतीजे सामने आ चुके हैं। इन नतीजों ने राज्य की राजनीति में हलचल बढ़ा दी है। कांग्रेस और बीजेपी—दोनों ही खुद को विजेता मान रही हैं। कांग्रेस की खुशी इसलिए है क्योंकि राहुल गांधी के नेतृत्व में यूडीएफ ने सत्तारूढ़ वाम मोर्चे को करारा झटका दिया है, वहीं बीजेपी के लिए ये नतीजे केरल में अपनी राजनीतिक मौजूदगी मजबूत करने वाले साबित हुए हैं। बीजेपी के लिहाज से इन नतीजों का निचोड़ 12 बिंदुओं में समझिए—
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लेफ्ट से तिरुवनंतपुरम का किला छीना
बीजेपी ने तिरुवनंतपुरम नगर निगम में ऐतिहासिक प्रदर्शन किया। 45 साल से चले आ रहे एलडीएफ के शासन को खत्म करते हुए बीजेपी निर्णायक ताकत बनकर उभरी। दो निर्दलीय पार्षदों के समर्थन से पार्टी पहली बार मेयर बनाने की स्थिति में है। -
केरल में तीसरे फैक्टर के रूप में उभरी BJP
इन नतीजों ने साफ कर दिया कि केरल की राजनीति अब सिर्फ कांग्रेस बनाम लेफ्ट नहीं रही। बीजेपी की मौजूदगी से मुकाबला धीरे-धीरे त्रिकोणीय हो रहा है। -
कोझिकोड में भगवा रंग गाढ़ा
कोझिकोड नगर निगम में एनडीए ने छह सीटों की बढ़त के साथ कुल 13 सीटें जीतीं। यह संख्या यूडीएफ की सीटों की लगभग आधी है। हालांकि नगर निगम पर नियंत्रण अभी भी एलडीएफ के पास है। -
कन्नूर जैसे वाम गढ़ में सेंध
बीजेपी ने कन्नूर में 4 सीटें जीतकर लेफ्ट के मजबूत किले में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। -
पलक्कड़ में बरकरार रहा कब्जा
बीजेपी ने पलक्कड़ नगर पालिका पर अपना नियंत्रण बनाए रखा, जो पार्टी के लिए दक्षिण केरल में अहम जीत मानी जा रही है। -
त्रिप्पुनितुरा नगर पालिका पर पहली बार कब्जा
एनडीए ने एलडीएफ से त्रिप्पुनितुरा नगर पालिका छीन ली। यह बीजेपी के लिए बड़ी राजनीतिक उपलब्धि है। -
पंडालम में बड़ा झटका
सबरीमाला से जुड़े पथानामथिट्टा जिले की पंडालम नगर पालिका में बीजेपी को भारी नुकसान हुआ। 2020 में 18 सीटें जीतने वाली बीजेपी इस बार सिर्फ 9 सीटों पर सिमट गई और तीसरे स्थान पर खिसक गई। -
सबरीमाला क्षेत्र में हार की वजह
पंडालम में हार के पीछे संगठनात्मक तालमेल की कमी, आंतरिक कलह और प्रशासनिक लापरवाही को मुख्य कारण माना जा रहा है। बीजेपी इन मुद्दों को प्रभावी ढंग से भुना नहीं पाई। -
ग्राम पंचायत स्तर पर मजबूत हुई NDA
एनडीए ने राज्यभर में 26 ग्राम पंचायतों में जीत दर्ज की, जो ग्रामीण इलाकों में पार्टी के बढ़ते असर को दिखाता है। -
वोट शेयर में बढ़त का दावा
शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक एनडीए ने 1,900 से ज्यादा वार्ड जीते हैं, जो पिछली बार से करीब 300 अधिक हैं। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर का दावा है कि इस बार एनडीए का वोट शेयर 20% के पार चला गया है। -
13 नगर पालिकाओं में दूसरी सबसे बड़ी ताकत
एनडीए 13 नगर पालिकाओं में दूसरे सबसे बड़े गठबंधन के रूप में उभरा है। इसके अलावा कासरगोड में उसने एक जिला पंचायत सीट भी जीती है। -
निगमों में सीटों की स्थिति
एनडीए ने तिरुवनंतपुरम में 15, कोल्लम में 6, कोच्चि में 1, त्रिशूर में 2, कोझिकोड में 6 और कन्नूर में 3 सीटें जीतकर शहरी इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत की है।
कुल मिलाकर, केरल निकाय चुनाव बीजेपी के लिए पूरी जीत नहीं लेकिन बड़ी राजनीतिक बढ़त जरूर साबित हुए हैं। पार्टी ने जहां तिरुवनंतपुरम जैसे गढ़ में इतिहास रचा, वहीं सबरीमाला क्षेत्र में झटका भी झेला। इन नतीजों ने साफ संकेत दे दिया है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में केरल की सियासत पहले से कहीं ज्यादा दिलचस्प होने वाली है।
