पीएम ने तिरंगा लहराकर चिनाब आर्च ब्रिज का उद्घाटन किया: कहा – PAK ने इंसानियत और कश्मीरियत पर हमला किया, हमने उस पर कयामत बरसा दी

By : hashtagu, Last Updated : June 6, 2025 | 5:09 pm

जम्मू-कश्मीर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने आज जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में बने चिनाब आर्च ब्रिज का भव्य उद्घाटन किया। तिरंगा लहराकर उद्घाटन करते हुए पीएम ने कहा, “पाकिस्तान ने इंसानियत और कश्मीरियत पर हमला किया था, हमने उस पर कयामत बरसा दी। आज का दिन सिर्फ इंजीनियरिंग का नहीं, आत्मबल और आत्मनिर्भर भारत का भी उदाहरण है।”

चिनाब आर्च ब्रिज रियासी के बक्कल और कौड़ी के बीच बना है। इसकी योजना 2003 में बनी थी और इसे 2009 तक पूरा करने का लक्ष्य था, लेकिन इसे तैयार होने में पूरे 22 साल लग गए। यह पुल 1.315 किलोमीटर लंबा है और चिनाब नदी से 359 मीटर ऊंचा है। यह ऊंचाई पेरिस के एफिल टावर से भी 29 मीटर ज्यादा है। इसकी कुल लागत करीब 1486 करोड़ रुपये रही।

देश के पहले केबल स्टे रेल ब्रिज का भी उद्घाटन

पीएम मोदी ने अंजी खड्ड पर बने देश के पहले केबल स्टे रेल ब्रिज का भी उद्घाटन किया। यह ब्रिज 331 मीटर की ऊंचाई पर बना है, और इसे सहारा देने के लिए 1086 फीट ऊंचा टावर बनाया गया है, जो लगभग 77 मंजिला इमारत के बराबर है। यह पुल कटरा को बनिहाल से जोड़ता है और चिनाब ब्रिज से केवल 7 किमी की दूरी पर है। इसकी लंबाई 725.5 मीटर है, जिसमें से 472.25 मीटर हिस्सा केबल पर टिका हुआ है।

कटरा-श्रीनगर वंदे भारत ट्रेन को दिखाई हरी झंडी

पीएम मोदी ने कटरा रेलवे स्टेशन से कटरा-श्रीनगर वंदे भारत ट्रेन को भी हरी झंडी दिखाई। नॉर्दर्न रेलवे ने जानकारी दी है कि यह ट्रेन 7 जून से शुरू होगी और हफ्ते में 6 दिन चलेगी। टिकट IRCTC की वेबसाइट पर बुक किए जा सकते हैं। ट्रेन में दो क्लास होंगी — चेयरकार का किराया ₹715 और एग्जीक्यूटिव क्लास का ₹1320 रखा गया है। फिलहाल ट्रेन सिर्फ बनिहाल में रुकेगी, बाकी स्टॉपेज बाद में तय किए जाएंगे।

कश्मीर अब बर्फबारी में भी देश से नहीं कटेगा

आज़ादी के 77 साल बाद भी कश्मीर हर साल बर्फबारी में देश के अन्य हिस्सों से कट जाता था। नेशनल हाईवे-44 के बंद हो जाने से घाटी का संपर्क टूट जाता था और सड़क मार्ग से जम्मू से कश्मीर पहुंचने में 8 से 10 घंटे लगते थे। लेकिन वंदे भारत ट्रेन के शुरू होने से यह सफर अब सिर्फ करीब 3 घंटे में तय होगा।

इस ऐतिहासिक दिन ने न केवल इंजीनियरिंग की एक मिसाल पेश की, बल्कि देश को एकजुट रखने की दिशा में एक मजबूत कदम भी साबित किया।