राजस्‍थान राजनीति की बदलती रेत में ‘वसुंधरा’ की किस्मत अधर में

By : hashtagu, Last Updated : November 26, 2023 | 4:44 pm

जयपुर, 26 नवंबर (आईएएनएस)। पिछले पांच सालों में राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (Former Chief Minister Vasundhara Raje) अलग-अलग कारणों से सुर्खियां बटोरती रही हैं। पार्टी कार्यालय से उनके पोस्टर हटाए जाने, भाजपा की रैलियों और विरोध प्रदर्शनों से उनकी अनुपस्थिति और अंततः पार्टी के पोस्टरों, समारोहों में उनकी वापसी और अपनी ही पार्टी के नेताओं द्वारा उन्हें दरकिनार किए जाने के कारण वह सुर्खियों में रहीं।

  • हालांकि, कई समारोहों में नजरअंदाज किए जाने के बावजूद, राजे राजस्थान (Rajasthan) में हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में अपने अनुयायियों के लिए लगभग 40 से अधिक टिकट हासिल करने में सफल रहीं, जो दर्शाता है कि “मैडम को अभी भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।”
  • अब जब चुनाव की गहमागहमी खत्म हो गई है, तो कांग्रेस और बीजेपी खेमे में समान रूप से सवाल पूछे जा रहे हैं कि “चुनाव के बाद मैडम को क्या मिलेगा और वह कहां जाएंगी।”

पिछले सप्ताह अलग-अलग स्थानों पर अपने कार्यकर्ताओं के लिए प्रचार करते हुए राजे ने न केवल भारी भीड़ जुटाई, बल्कि मुख्यमंत्री द्वारा शुरू की जा रही विभिन्न नीतियों के कारण राज्य पर बढ़ते कर्ज के बोझ के लिए भी गहलोत सरकार पर हमला बोला।

उन्होंने एक चुनावी रैली में कहा,“राजस्थान में हर बच्चा अपने सिर पर लगभग 70 हजार रुपये का कर्ज लेकर पैदा होगा। गहलोत के समय में राज्य पर सबसे ज्यादा कर्ज हो गया है। यह कर्ज सरकार ने कांग्रेस के विकास के लिए लिया था। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकारी खजाने से पैसा प्रदेश की जनता पर नहीं, बल्कि अपने विधायकों पर खर्च करते हैं। जब कांग्रेस विधायकों ने सरकार गिराने की कोशिश की तो महीनों तक विधायकों की बाड़ेबंदी में भारी रकम खर्च की गई। पूरा प्रवास 5-सितारा होटलों में था। ये पैसा जनता का था। आज निवेशक राजस्थान से भाग रहे हैं क्योंकि यहां देश में सबसे ज्यादा बिजली दरें हैं।”

  • राजे ने कांग्रेस सरकार पर उसके घोषणापत्र को लेकर भी हमला बोला था और कहा था कि वह सच नहीं बोलती।

उन्होंने कहा था, ”कांग्रेस ने 4 लाख सरकारी नौकरियां देने का वादा किया था, जबकि केवल 2.5 लाख पद खाली हैं। वे 4 लाख नौकरियां कैसे देंगे? गहलोत कह रहे हैं कि उन्होंने 3 लाख युवाओं को नौकरी दी। 3 लाख तो छोड़िए, 20 हजार को भी सरकारी नौकरी नहीं दे सके। पांच साल में 1.37 लाख सरकारी भर्तियां हुईं। इनमें से 1.20 लाख की भर्ती बीजेपी के समय में हुई थी।’

दरअसल, 25 नवंबर को चुनाव से पहले, वह ईआरसीपी, कृषि ऋण माफी आदि मुद्दों पर गहलोत सरकार पर हमला कर रही थीं। एक पार्टी कार्यकर्ता ने कहा,“इससे साफ पता चलता है कि उन्होंने तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने की उम्मीद नहीं खोई है। उन्होंने न केवल चुनाव प्रचार के दौरान भारी भीड़ जुटाई, बल्कि अपनी सभी सभाओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की और गहलोत द्वारा किए गए कार्यों की आलोचना की। इससे पता चलता है कि वह वरिष्ठ नेताओं के गुड बुक में रहना चाहती हैं। और इससे यह भी पता चलता है कि वह खुद सीएम पद की दौड़ में शामिल होना चाहती हैं।”

हालांकि, केंद्रीय नेतृत्व ने कमान अपने हाथ में ले ली है और अपनी रणनीतियों के मुताबिक आगे बढ़ रहा है. फिलहाल, ऐसा लगता है कि राजे को किनारे कर दिया गया है और इसलिए बड़ा सवाल उठता है: उनका अगला कदम क्या होगा?

एक अन्य पार्टी कार्यकर्ता ने कहा, राजे फिलहाल सीएम की रेस में हैं। उन्होंने कई बार साबित किया है कि स्थिति चाहे जो भी हो, उन्हें खारिज नहीं किया जा सकता है।”

  • इस बीच पार्टी के एक वरिष्‍ठ कार्यकर्ता ने कहा, “पूर्व सीएम को विभिन्न राज्यों में संवैधानिक पदों की पेशकश की गई थी लेकिन उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया। अब, यह स्पष्ट है कि पार्टी नेतृत्व एक युवा नेतृत्व विकसित करना चाहता है। उन्हें या तो किसी राज्य की राज्यपाल बनने का मौका मिलेगा या फिर वैसा ही कोई पद मिलेगा. फिलहाल, उनके पास अभी भी पांच साल का समय है और इसलिए उन्हें आगामी लोकसभा चुनाव में भी मौका दिया जा सकता है।’

इस बीच, हाल के विधानसभा चुनावों के लिए राजस्थान में चुनाव प्रबंधन समिति का नेतृत्व कर रहे नारायण पंचारिया ने आईएएनएस से कहा, “वसुंधरा हमारी पार्टी की वरिष्ठ नेता रही हैं। वह हमारी सभी जिम्मेदारियां अच्छे से निभा रही हैं।’ वह हाल ही में झारखंड में थीं, जहां उन्होंने आगे बढ़कर नेतृत्व किया और राजस्थान में भी कड़ी मेहनत की।

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने आईएएनएस से कहा, “यह सर्वविदित तथ्य है कि भाजपा प्रयोग करती रही है। यह हमारा पार्टी नेतृत्व तय करेगा कि किसे क्या जिम्मेदारी मिलेगी। शीर्ष नेतृत्व का प्रभुत्व और प्रमुखता है। कांग्रेस में तो आलाकमान को चुनौती देकर गहलोत सीएम बने रह सकते हैं, लेकिन बीजेपी में ऐसा नहीं है। हमारी पार्टी में हमारा नेतृत्व पवित्र है और केंद्रीय नेतृत्व जो कहता है हम सभी उसका पालन करते हैं।”

अब यह तो समय ही बताएगा कि तीन दिसंबर को नतीजे आने के बाद राजे को क्या भूमिका मिलेगी। चाहे वह राजस्थान में हों या केंद्र में या किसी अन्य राज्य में, सभी की निगाहें राज्य में बीजेपी की इस वरिष्ठ और सबसे करिश्माई नेता पर हैं।