‘कुशाभाऊ ठाकरे विश्वविद्यालय’ में दैनिक वेतनभाेगी कर्मचारियों को अभी न्याय के इंतजार में!

By : madhukar dubey, Last Updated : December 20, 2023 | 10:37 pm

छत्तीसगढ़। हाईकोर्ट ने लगभग एक वर्ष पहले सेवा से हटाए गए 23 दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों (23 daily wage employees) को बड़ी राहत देते हुए विश्वविद्यालय के अधिकारियों को निर्देशित किया कि दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को प्लेसमेंट एजेंसी में नहीं भेजा जा सकता है और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की सेवाएं पूर्व की स्थिति में बहाल करें।

कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय (Kushabhau Thakre University of Journalism and Mass Communication) में लगभग 15-18 वर्षों से कार्यरत दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को दबावपूर्वक एक कथित प्लेसमेंट एजेंसी में काम करने के लिए विश्वविद्यालय ने आदेश जारी किया था। इस आदेश के विरुद्ध श्री गोविन्द पटेल और 22 अन्य दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों ने माननीय हाईकोर्ट में अपनी याचिका प्रस्तुत की थी। याचिका में उच्च शिक्षा विभाग सहित छह लोगों को प्रतिवादी बनाया गया था जिसमें हाईकोर्ट ने दिनांक 27 सितंबर 2022 को कर्मचारियों के पक्ष में फौरी राहत देते हुए निर्देशित किया था कि याचिकाकर्ता दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को अगली सुनवाई तक उनके पदों से नहीं हटाया जाएगा।

  • लेकिन विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने अपनी हठधर्मिता के चलते हाईकोर्ट के स्टे आर्डर को अनसुना कर दिया और 23 दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को प्लेसमेंट एजेंसी को अवैध लाभ पहुंचाने के लिए विश्वविद्यालय से निकाल दिया गया। विश्वविद्यालय के इस अवैधानिक फैसले के खिलाफ दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों ने कई दिनों तक शासन प्रशासन से मान मनुहार और सड़कों पर प्रदर्शन किया। लेकिन दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की गुहार किसी ने नहीं सुनी।

दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों ने हाईकोर्ट के स्टे आर्डर के अवमानना की याचिका न्यायालय में दायर की। अवमानना की याचिका पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को माननीय हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों को एक सप्ताह में स्टे आर्डर के आदेश का पालन कर इसका प्रतिवेदन हाईकोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट के इस निर्देश के बाद दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के चेहरे पर खुशियां लौट आई है। मालूम हो कि विश्वविद्यालय में लंबे समय से प्लेसमेंट एजेंसी का खेल चल रहा है। प्लेसमेंट एजेंसी की आड़ में चल रहे इस खेल की नई सरकार में गंभीर जांच की मांग कर्मचारी कर रहे हैं।

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