रायपुर। वरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञ डॉ दिनेश मिश्र (Senior Ophthalmologist Dr. Dinesh Mishra) ने कहा कंजंक्टीवाईटिस (Conjunctivitis) आंख का आना या नेत्र ”शोथ आँखों” का एक आम संक्रमण है। कंजंक्टीवाइटिस के शिकार लोग साल भर होते रहते हैं। कभी-कभी यह बरसात में काफी तीव्रता से एक बड़े क्षेत्र की जनसंख्या को प्रभावित करती है, यह एक छुतहा इंफेक्शन (संक्रमण) है और निकट सम्पर्ग के कारण एक से दूसरे व्यक्ति में फैलता रहता है। जैसा कि वर्तमान में हो रहा है। देश के अनेक हिस्सों से कंजंक्टिवाइटिस के सामूहिक रूप से फैलने के समाचार मिल रहे हैं।
डॉ दिनेश मिश्र ने कहा आँखों में कंजंक्टाइवा नामक श्लेष्मा झिल्ली होती है, जो पलकों के भीतरी हिस्सों तथा नेत्र गोलक में कार्निया को छोड़कर नेत्र गोलक को घेरे रहती है। इस झिल्ली में ही होने वाला इन्फेक्शन कंजंक्टीवाइटिस कहलाता है। इसमें कंजंक्टिवा गुलाबी,लाल रंग की दिखने लगती है। इस लिए इसे पिंक आई ,रेड आई भी ,आंखें आना भी कहते हैं।
कंजंक्टीवाइटिस की तीव्रता तथा लक्षण संक्रमण करने वाले रोगाणु की घातक क्षमता पर निर्भर है। कंजंक्टीवाइटिस मुख्यत: इन्फेक्शन (संक्रमण) एलर्जी तथा चोट लगने से होती है। संक्रमण के कारण होने वाली कंजंक्टीवाइटिस बैक्टीरिया तथा वायरस दोनों में से ही किसी के भी संक्रमण से हो सकती है। ये रोगाणु अनुकूल मौसम में तेजी से वृद्धि करते हैं,एक से दूसरे व्यक्ति में निकट सम्पर्क के कारण कंजंक्टाइवा में पहुंचते हैं तथा संख्या में बढऩे लगते हैं। जिससे लक्षण प्रकट होने लगते हैं।
कंजंक्टीवाइटिस होने पर आंखों का लाल हो जाना, पलकों का सूजना, हल्का सिर दर्द, आँखों से पानी आना, आंखों से सफेद कचरा, डिस्चार्ज आना, पलकों का चिपक जाना, इत्यादि की शिकायतें मरीज करते हैं। संक्रमण के कारण होने वाली कंजंक्टभ्वाइटिस सामान्य सर्दी, बुखार, खाँसी के साथ या बाद में भी हो सकती है।
एलर्जी के कारण होने वाली कंजंक्टीवाइटिस में मुख्य कारण पराग कण धूल से दवाओं से एलर्जी हो जाना होता है। इसमें मरीज आँखों में सूजन, लालिमा, खुजलाहट, पानी आना, जलन की शिकायत करते हैं। आँखों में बाहरी कण चले जाने, चोट लगने के कारण भी कंजंक्टीवाइटिस हो जाती है, जिसके कारण आँख लाल होना, पानी आना, दर्द होना आम लक्षण हैं। एलर्जी के कारण होने वाली कंजंक्टभ्वाइटिस का इलाज के कारण का निदान करने से ही हो जाता है। यदि किसी दवा के कारण एलर्जी हो गई हो तो उस दवा को बंद कर एलर्जी प्रतिरोधक दवा लेने से ठीक हो जाती है। आँख में कचरा जाने, चोट लगने के कारण होने वाली कंजंक्टीवाइटिस कण निकालने, चोट के ठीक होने पर ही ठीक हो सकती है।
संक्रमण के कारण होने वाली कंजंक्टीवाइटिस सबसे आम है। यह बरसात में स्कूल के बच्चों में, ऑफिस में, हॉस्टल में निकट सम्पर्क के कारण सामूहिक रूप से प्रभावित करती है। डॉ दिनेश मिश्र ने कहा कंजंक्टीवाइटिस से बचने के लिए आवश्यक है कि मरीज के सम्पर्क से यथासम्भव बचा जावे। यदि फिर भी कंजंक्टीवाइटिस के प्रकोप के शिकार हो जावे, तब रंगीन चश्मे का उपयोग करें, जिससे आँखों को आराम मिलेगा। अपना तौलिया, रूमाल, पेन इत्यादि व्यक्तिगत वस्तुएँ अलग रखें। ऑफिस, शाला से अवकाश लेकर विश्राम करें, जिससे संक्रमण सहकर्मियों व दोस्तों में न फैल जावे। आँखों से पानी, डिस्चार्ज साफ रूमाल से साफ करें, आँखे बार बार साफ करें. हाथ साबुन से धोवें।
डॉक्टर दिनेश मिश्र ने कहा कंजंक्टीवाइटिस के फैलने के बारे में कुछ भ्रांतियां हैं, जैसे कि पहले यह माना जाता था यह मरीज की आँखों में देख लेने से ही हो जाती है, जबकि वास्तविकता यह नहीं है। यह सिर्फ देखने से नहीं होता बल्कि किसी मरीज के निकट सम्पर्क में जाने से,स्पर्श, हाथ मिलाने, संक्रमित व्यक्ति की व्यक्तिगत वस्तुओं के उपयोग से हो सकता है।
कंजक्टिवाइटिस होने पर आंखों में लालिमा,दर्द, धुँधला दिखने पर नेत्र विशेषज्ञ से सम्पर्क करें। रोगी का चश्मा न लगावें। यथासम्भव रेल, बस इत्यादि साधनों से यात्रा न करें। स्विमिंग पुल में न जाए, सामूहिक कार्यक्रम में जाने से बचें। आंखों में सूरमा, काजल का प्रयोग न करें।कॉन्टेक्ट लेंस न लगाएं। आंखों को बार बार न रगड़े। मूवी,वीडियो गेम देखते रहने की बजाय आंखों को आराम दें। अपनी आंखों में कोई भी दवा किसी परामर्श के स्वयं ही न डालें। स्टेरॉयड युक्त दवा न डालें। आंख में दवाएं नेत्र विशेषज्ञ से सम्पर्क तथा परामर्श के बाद ही डालनी चाहिए। आँखों में दवा डालने के पूर्व उसकी एक्सपायरी तारीख ठीक से देख लेवें, ताकि वह बाद में हानिकारक सिद्ध न हो।
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