मुंबई, महाराष्ट्र: भारतीय महिला क्रिकेट टीम (Indian women team) ने रविवार को मुंबई में इतिहास रच दिया। 52 साल पुराने विमेंस वनडे वर्ल्ड कप टूर्नामेंट में भारत ने पहली बार खिताब जीतकर देश को गर्व का पल दिया। फाइनल मुकाबले में भारत ने साउथ अफ्रीका को 52 रनों से हराकर वर्ल्ड चैंपियन बनने का सपना पूरा किया।
यह जीत सिर्फ क्रिकेट की नहीं, बल्कि सपनों और संघर्षों की भी कहानी है। वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय टीम की 16 खिलाड़ियों में कोई दिहाड़ी मजदूर की बेटी है, कोई सरकारी कर्मचारी के घर में पली-बढ़ी है, तो किसी के पिता ज्वैलरी या सब्जी का कारोबार करते हैं। अलग-अलग पृष्ठभूमियों से आने वाली इन खिलाड़ियों ने साबित कर दिया कि जुनून और मेहनत के आगे हालात कभी बड़ी दीवार नहीं बन सकते।
इस जीत में शेफाली वर्मा का प्रदर्शन शानदार रहा। उन्होंने फाइनल में 87 रन बनाए और 2 महत्वपूर्ण विकेट भी लिए, जिसके चलते उन्हें ‘प्लेयर ऑफ द फाइनल’ चुना गया। वहीं दीप्ति शर्मा ने पूरे टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा विकेट लेकर भारत की जीत की नींव रखी।
कप्तान हरमनप्रीत कौर ने ट्रॉफी उठाने से पहले मैदान पर भांगड़ा कर जश्न मनाया, वहीं चोटिल प्रतिका रावल व्हीलचेयर पर पहुंचीं और साथियों के साथ नाचकर इस ऐतिहासिक जीत का हिस्सा बनीं।
47 सालों के लंबे इंतज़ार के बाद भारत ने आखिरकार विमेंस वनडे वर्ल्ड कप जीतकर अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज करा लिया है। यह जीत सिर्फ क्रिकेट नहीं, बल्कि हर उस भारतीय बेटी की प्रेरणा है, जो सपनों को उड़ान देना चाहती है।