“जब सेलेक्टर्स युवराज पर नहीं थे भरोसेमंद, फिर भी कर्स्टन-धोनी की जिद ने दिला दी भारत को वर्ल्ड कप जीत!”

लेकिन अगर कर्स्टन और कप्तान एमएस धोनी ने ज़ोर न दिया होता, तो शायद युवराज उस वर्ल्ड कप का हिस्सा ही नहीं बनते।

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  • Publish Date - July 18, 2025 / 08:20 PM IST

नई दिल्ली: साल 2011 का वर्ल्ड कप… वो लम्हा जिसे आज भी हर भारतीय गर्व के साथ याद करता है। और उस जीत का सबसे बड़ा चेहरा? युवराज सिंह। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस ऐतिहासिक टूर्नामेंट से पहले युवराज का चयन होना भी तय नहीं था? जी हां, उस वक्त टीम इंडिया के कोच गैरी कर्स्टन (Gary Kirsten) ने एक ऐसा खुलासा किया है, जो हर क्रिकेट प्रेमी को चौंका सकता है।

गैरी कर्स्टन ने बताया कि उस समय चयनकर्ता युवराज सिंह को लेकर आश्वस्त नहीं थे। टीम में जगह देने को लेकर बहस छिड़ी हुई थी। लेकिन अगर कर्स्टन और कप्तान एमएस धोनी ने ज़ोर न दिया होता, तो शायद युवराज उस वर्ल्ड कप का हिस्सा ही नहीं बनते। कर्स्टन ने कहा, “ईश्वर का शुक्र है कि हमने युवराज को चुना। सेलेक्शन आसान नहीं था, लेकिन धोनी और मैं युवी को टीम में देखना चाहते थे, क्योंकि उनके पास अनुभव और क्लास दोनों था।”

गैरी कर्स्टन ने आगे बताया कि युवराज का टीम में होना कितनी बड़ी बात थी, इसका अंदाज़ा तो टूर्नामेंट खत्म होने पर ही लग गया, जब उन्होंने मैन ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब अपने नाम किया। उन्होंने 362 रन बनाए, जिसमें एक शतक और चार अर्द्धशतक शामिल थे, साथ ही 15 विकेट भी झटके।

कर्स्टन ने युवराज की मानसिक मजबूती की भी तारीफ की और कहा कि मानसिक कोच पैडी अप्टन ने युवराज को तैयार करने में अहम भूमिका निभाई। “युवी की अपनी एक अलग जर्नी रही है। ये वर्ल्ड कप उनके कैंसर से पहले का आखिरी बड़ा टूर्नामेंट था, और उन्होंने खुद को साबित कर दिखाया,” गैरी ने कहा।

धोनी और कर्स्टन की उस जिद ने ही भारत को चैंपियन बनाया। युवराज का हर शॉट, हर विकेट आज भी करोड़ों भारतीयों की यादों में बसा है। अगर वो टीम में नहीं होते, तो शायद कहानी कुछ और होती।