सदन में अजय चंद्राकर ने उठाए ‘क्वांटिफायबल डाटा’ का मुद्दा! जवाब में CM ने ये कहा….
By : hashtagu, Last Updated : February 13, 2024 | 3:29 pm
- अजय चंद्राकर ने दागे सवाल
- विधानसभा में अजय चंद्राकर ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से सवाल किया कि क्वांटिफायबल डाटा आयोग कब और किन उद्देश्यों से गठित किया गया? उसका कार्यकाल कितनी अवधि का था? उसके कार्यकाल को कितनी बार बढ़ाया गया और अंतिम बार कितनी अवधि के लिए कब तक बढ़ाया गया? रिपार्ट राज्य सरकार को कब सौंपी गई? किन-किन संस्थाओं को देनी थी? इसके चेयरमेन व सदस्य कौन-कौन थे तथा इनको क्या-क्या सुविधायें दी गयी एवं कितनी राशि व्यय की गयी?
सीएम बोले, सार्वजनिक नहीं की गई रिपोर्ट
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने अपने जवाब में बताया कि क्वांटिफायबल डाटा आयोग का गठन सामान्य प्रशासन विभाग के द्वारा 11 सितंबर 2019 द्वारा किया गया। इसका उद्देश्य राज्य की जनसंख्या में अन्य पिछड़े वर्गों तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों का सर्वेक्षण कर क्वांटिफायबल डाटा एकत्रित किया जाना था। इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई थी।
10 बार बढ़ाया गया कार्यकाल, इतने हुए खर्च…
आयोग का कार्यकाल छह माह में प्रतिवेदन शासन को सौंपने हेतु गठन किया गया था, किन्तु प्रतिवेदन अपेक्षित होने के कारण आयोग का कार्यकाल 10 बार बढ़ाया गया, अंतिम बार 2 महीने की अवधि के लिए 31 दिसंबर 2022 तक के लिये बढ़ाया गया था। आयोग ने अपनी रिपोर्ट/प्रतिवेदन 21 नवंबर 2022 को राज्य सरकार को सौंपी।
आयोग के चैयरमेन सेवानिवृत्त जिला एवं सेशन जज थे। वहीं कोई सदस्य नियुक्त नहीं किया गया था। अध्यक्ष के मानदेय और अन्य सुविधाओं में 1 करोड़ 7 लाख 6 हजार रूपये खर्च किये गए। आयोग के प्रतिवेदन में अनुशंसा नहीं बल्कि निष्कर्ष दिए गए थे, जिसके आधार पर आरक्षण (संशोधन) विधेयक पारित कराया गया था।
चंद्राकर ने लगाया ये आरोप..
विधानसभा में शासन की ओर से जवाब देते हुए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक करने पर विचार करेंगे। इस दौरान अजय चंद्राकर ने आरोप लगाया कि कांग्रेस की सरकार ने राजनीति के लिए क्वांटिफायबल डाटा बनाया गया था, किस डाटा का क्या उपयोग किया, भूपेश बघेल के अलावा कोई नहीं जानता, प्रदेश की जनता को अधिकार है कि क्या वस्तु स्थिति है क्वांटिफिएबल डाटा का, यह कोई राजनीति का विषय नहीं है। अजय चंद्राकर ने आरोप लगाया कि यह भूपेश बघेल का डाटा करप्शन है।
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