भारत माला प्रोजेक्ट में 43 करोड़ का मुआवजा घोटाला: दशमेश डेवलपर्स के दफ्तर में EOW की दबिश, दस्तावेजों की जांच जारी

जांच एजेंसियों को शक है कि जमीन अधिग्रहण में दस्तावेजों की हेराफेरी कर बड़े पैमाने पर गड़बड़ी को अंजाम दिया गया। इसी सिलसिले में पूर्व में 25 अप्रैल को भी EOW ने राज्य भर में दबिश दी थी, जिसमें राजस्व विभाग के करीब 17 से 20 अधिकारियों के ठिकानों की तलाशी ली गई थी।

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  • Updated On - April 30, 2025 / 05:44 PM IST

रायपुर। भारतमाला प्रोजेक्ट (Bharatmala Project) में हुए करोड़ों के मुआवजा घोटाले की परतें अब तेजी से खुलने लगी हैं। आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की संयुक्त टीम ने बुधवार को रायपुर के तेलीबांधा इलाके में स्थित दशमेश डेवलपर्स के कार्यालय पर दबिश दी। छापे के दौरान अधिकारी कंपनी से जुड़े दस्तावेज खंगालते नजर आए।

जांच एजेंसियों को शक है कि जमीन अधिग्रहण में दस्तावेजों की हेराफेरी कर बड़े पैमाने पर गड़बड़ी को अंजाम दिया गया। इसी सिलसिले में पूर्व में 25 अप्रैल को भी EOW ने राज्य भर में दबिश दी थी, जिसमें राजस्व विभाग के करीब 17 से 20 अधिकारियों के ठिकानों की तलाशी ली गई थी। जिन अधिकारियों पर छापे पड़े, उनमें SDM, तहसीलदार, पटवारी, और राजस्व निरीक्षक जैसे पद शामिल हैं।

दशमेश इंस्टा वेंचर प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी जांच के केंद्र में है, जिसके निदेशक हरमीत सिंह खनूजा और भावना कुर्रे हैं। भावना कुर्रे, अभनपुर के तत्कालीन तहसीलदार शशिकांत कुर्रे की पत्नी हैं। हरमीत सिंह को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है और वे वर्तमान में EOW की हिरासत में हैं। इस मामले में अब तक चार लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जिनमें उमा तिवारी, केदार तिवारी, विजय जैन और खनूजा शामिल हैं। सभी को 1 मई तक पुलिस रिमांड में भेजा गया है।

जांच में सामने आया है कि रायपुर से विशाखापट्नम तक बन रही भारतमाला फोरलेन सड़क परियोजना के लिए अधिग्रहित भूमि को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर 43 करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला किया गया। अभनपुर क्षेत्र के गांवों—नायकबांधा और उरला—में ज़मीन के 159 अलग-अलग खसरों में 80 नए नाम जोड़ दिए गए। वास्तविक मुआवजा 29.5 करोड़ होना था, लेकिन फर्जीवाड़े से इसे बढ़ाकर 78 करोड़ रुपये दर्शाया गया।

एनएचएआई की आपत्ति के बाद राज्य सरकार ने मुआवजा भुगतान पर रोक लगाई। इसी बीच EOW को यह भी जानकारी मिली कि एक ही परिवार की 4 एकड़ ज़मीन को कागजों में बांटकर 14 हिस्सों में कर दिया गया, और उन सभी को 70 करोड़ का मुआवजा मिल गया। दस्तावेजों की जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि रिकॉर्ड में हेराफेरी बैक डेट में की गई।

जांच रिपोर्ट में साफ लिखा है कि राजस्व अधिकारियों ने जानबूझकर नियमों की अनदेखी कर जमीन मालिकों को अनुचित लाभ पहुंचाया और सरकारी धन का दुरुपयोग किया। अब यह पूरा मामला राज्य के बड़े भू-माफियाओं और अफसरों की मिलीभगत का ज्वलंत उदाहरण बनकर सामने आया है।

इस पूरे मामले को लेकर NHAI ने भी आपत्ति दर्ज करवाई थी और विस्तृत रिपोर्ट राजस्व सचिव को सौंपी गई थी। मुआवजा वितरण रोकने के बाद अब फोकस उन अधिकारियों और बिल्डरों पर है, जिन्होंने साजिशन घोटाले को अंजाम दिया।