रायपुर। छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री अरुण साव (Deputy Chief Minister Arun Sao) ने कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने तानाशाही और सत्तालोलुपता का प्रदर्शन करते हुए 25 जून, 1975 को देश पर आपातकाल थोपकर न केवल लोकतंत्र की हत्या की, अपितु भारतीय संविधान का खुलेआम मखौल भी उड़ाया था। साव ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने भारतीय लोकतंत्र के उसी काले अध्याय से रू-ब-रू कराते हुए ‘आपातकाल का काला दिवस’ (Black day of emergency) मनाकर संविधान और लोकतंत्र के नाम पर देश में पाखंडपूर्ण राजनीति कर रही कांग्रेस के इस इस कलंकित राजनीतिक चरित्र से परिचित कराने का बीड़ा उठाया है।
प्रदेश के उप मुख्यमंत्री साव ने कहा कि सन 1975 में देश पर आपातकाल थोपकर तत्कालीन इंदिरा सरकार ने जिस प्रकार से लाखो निरपराध लोगों को जेल में डाला, न्यायपालिका और मीडिया के अधिकारों को नियंत्रित करने का काम किया, अपने विरोधियों को जेल में डालकर उन्हें प्रताड़ित करने का काम किया, आज 50 साल बाद यह देश उस काला दिवस को न तो भूल पाया है और न कभी भूल पाएगा।
साव ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा से सत्ता के लिए किसी भी हद तक जाने का काम करती रही है और आज भी कांग्रेस अपने इसी राजनीतिक चरित्र के साथ राजनीति कर रही है। कांग्रेस को न तो देश के संविधान पर भरोसा है और न ही देश की संवैधानिक संस्थाओं पर। सत्ता हासिल करने और उस पर काबिज रहने के लिए, अपने राजनीतिक सत्ता-स्वार्थ के लिए कांग्रेस ने हमेशा संविधान एवं संवैधानिक संस्थाओं पर कब्जा कर उसे तोड़ने का काम किया है। यह कांग्रेस का इतिहास रहा है कि 90 से अधिक बार राज्य सरकारों को बर्खास्त करने का काम भी कांग्रेस ने किया है। संविधान और संवैधानिक प्रावधानों का दुरुपयोग करके दोबारा कोई ऐसी हिम्मत न कर सके, इसके लिए भाजपा ने जन-जन को जागरूक कर देश को एक बार फिर आपातकाल के अन्याय, अत्याचार और ज्यादतियों के बारे में बताने के लिए 25 जून को पूरे जिला मुख्यालय में आपातकाल का काला दिवस मनाया।
यह भी पढ़ें : आपातकाल का काला दिवस : भाजपा के दिग्गजों ने पलटे ‘इतिहास’ के पन्ने! कांग्रेस के ‘संवैधानिक छेड़छाड़’ पर दागे सवाल
यह भी पढ़ें :विष्णुदेव साय ने चलाया ‘विकास’ का सुदर्शन चक्र! समझें, क्रांतिकारी कदम की तासीर
यह भी पढ़ें :डिप्टी सीएम विजय शर्मा का आईटीआई निरीक्षण : एक्शन प्लान बनाने दिए निर्देश