रायपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छत्तीसगढ़ के दौरे पर आए हैं। आज सक्ती-धमतरी में जनसभा को संबोधित करने के बाद मंगलवार की रात राजभवन में ही ठहरेंगे। इसके बाद वे 24 अप्रैल को अंबिकापुर में जनसभा करेंगे। इन सबके बीच अब प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी के राजभवन में रूकने (Narendra Modi’s stay at Raj Bhavan) को लेकर छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने सियासी मुद्दा बना लिया है। इसकी शिकायत करने के लिए मंगलवार की दोपहर कांग्रेस कमेटी के एक प्रतिनिधिमंडल छत्तीसगढ़ निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय (Chhattisgarh Election Officer Office) में पहुंचा। जहां प्रधानमंत्री के राजभवन में रात बिताने को लेकर सवाल खड़े करते हुए चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन होने की बात कही है। पत्र सौंपने वालों में छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वार रूम के अध्यक्ष शैलेश नितिन ित्रवेदी और कांग्रेस के संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला सहित अन्य कांग्रेस पदाधिकारी शामिल थे।
निश्चित रूप से प्रधानमंत्री के विशेषाधिकार प्रजातंत्र और उनकी सुरक्षा की आवश्यकताएं भी होती हैं, जिन्हें हम सब बखूबी समझते हैं और उन्हें हर हालत में पूरा किया जाना चाहिए। लेकिन प्रधानमंत्री के विशेषाधिकार प्रजातंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की मूलभूत बातों से ऊपर नहीं है। यदि प्रधानमंत्री की सुरक्षा के नाम पर वे राज्य के संवैधानिक प्रमुख के शासकीय निवास राजभवन में रूकते हैं तो इससे पूरे छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनावों की निष्पक्षता प्रभावित होगी। आखिर राज्यपाल ही तो निर्वाचन कार्य में लगी हुई पूरी कार्यपालिका के प्रमुख हैं और इससे चुनावी कार्य में लगे सारे सरकारी अधिकारी, कर्मचारियों की निष्पक्षता प्रभावित होगी और चुनाव का वातावरण सत्ताधारी दल के पक्ष में प्रदूषित किया जाएगा।
यह निश्चित रूप से निष्पक्ष चुनाव को प्रभावित करने की भाजपा की चाल है। जिसका हम विरोध करते हैं कि निर्वाचन आयोग प्रधानमंत्री के रात्रि विश्राम के लिए उनकी गरिमा और उनकी सुरक्षा आवश्यकताओं के अनुरूप राजभवन की जगह किसी और उपयुक्त और विधि विधान के अनुरूप स्थान में आवश्यक प्रबंध सुनिश्चित करने के लिए शासन को निर्देशित करें।
यह निष्पक्ष चुनाव के लिए आवश्यक ही नहीं अनिवार्य भी है और निर्वाचन आयोग इस संबंध में तत्काल सर्वोच्च प्राथमिकता से निर्णय लेकर कार्यवाही करे, यह निर्वाचन की निष्पक्षता के हित में होगा।
पूर्व में जब-जब राज्य सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री चुनावों के दौरान आचार संहिता लगी होने के बावजूद आयोग की अनुमति से शासकीय विश्राम गृहों में रुकते रहे हैं। तब-तब निर्वाचन आयोग के द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षकों ने वहां मौजूद रहकर यह तय किया है कि वे किसी भी राजनैतिक या चुनाव कार्य से जुड़े शासकीय व्यक्ति से न मिलें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रवास के दौरान निर्वाचन आयोग द्वारा प्रधानमंत्री मोदी के विश्राम के लिए निर्धारित शासकीय परिसर में किसी भी राजनैतिक या चुनाव कार्य से जुड़े शासकीय व्यक्ति से प्रधानमंत्री मुलाकात न करें, इसे भी निर्वाचन आयोग को सुनिश्चित करना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी के प्रवास और रात्रि विश्राम का दुरूपयोग निष्पक्ष निर्वाचन को प्रभावित करने के लिए न किया जाए यह सुनिश्चित करने का हम बेहद विनय पूर्वक लेकिन उतनी ही द्ढता के साथ निवेदन करते हैं।
यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान आदर्श संहिता का उल्लंघन होता है और वे राज्य के संवैधानिक प्रमुख के निवास पर रूकते हैं तो इससे पूरे राज्य के चुनावों की निष्पक्षता प्रभावित होगी।
यदि ऐसा होता है तो राज्य से भाजपा के एक भी लोकसभा सदस्य के निर्वाचित हाेने की िस्थति में मैं उसके निर्वाचन को चुनौती देने और न्यायहित में अदालत की शरण में जाने का अपना अधिकार सुरक्षित रखता हूं।
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