नई दिल्ली, 17 फरवरी (आईएएनएस)। ज्ञानपीठ पुरस्कार चयन समिति ने वर्ष 2023 के लिए 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार (58th Jnanpith Award) की घोषणा की। इस वर्ष यह पुरस्कार दो भाषाओं संस्कृत के लिए जगतगुरु रामभद्राचार्य और उर्दू के लिए विख्यात गीतकार गुलज़ार (Jagatguru Rambhadracharya and famous Urdu lyricist Gulzar) को दिए जाने की घोषणा की गयी है।
भारतीय ज्ञानपीठ के महाप्रबंधक आर. एन. तिवारी ने आईएएनएस को बताया कि सुप्रसिद्ध कथाकार और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रतिभा राय की अध्यक्षता के हुई चयन समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक में चयन समिति के अन्य सदस्य और ज्ञानपीठ के निदेशक मधुसुदन आनन्द शामिल थे।
ज्ञात हो कि सन 1944 में स्थापित भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा वर्ष 1965 से भारतीय साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रतिवर्ष यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है। संस्कृत भाषा को दूसरी बार और उर्दू के लिए पांचवीं बार यह पुरस्कार प्रदान किया जा रहा है। देश के सर्वोच्च साहित्य सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार के रूप में विजेताओं को पुरस्कार स्वरुप रुपये 11 लाख रुपए की राशि, वाग्देवी की प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा।
आर. एन. तिवारी ने बताया कि उन्होंने 240 से अधिक पुस्तकों और ग्रंथों की रचना की है, जिनमें चार महाकाव्य (दो संस्कृत और दो हिन्दी में), रामचरितमानस पर हिन्दी टीका, अष्टाध्यायी पर काव्यात्मक संस्कृत टीका और प्रस्थानत्रयी (ब्रह्मसूत्र, भगवद्गीता और प्रधान उपनिषदों) पर संस्कृत भाष्य सम्मिलित हैं। उन्हें तुलसीदास पर भारत के सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञों में गिना जाता है। वे रामचरितमानस की एक प्रामाणिक प्रति के सम्पादक हैं, जिसका प्रकाशन तुलसी पीठ द्वारा किया गया है। 2015 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया है।
वर्ष 2009 में डैनी बॉयल निर्देशित फिल्म ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ में उनके लिखे गीत ‘जय हो’ के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ गीत का ऑस्कर पुरस्कार मिल चुका है। इसी गीत के लिए उन्हें ग्रैमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
अपनी लम्बी फ़िल्मी यात्रा के साथ-साथ गुलज़ार अदब के मैदान में नई-नई मंज़िलें तय करते रहे हैं। नज़्म में इन्होंने एक नई विधा “त्रिवेणी” का आविष्कार किया है, जो तीन पंक्तियों की गैर मुकफ़्फ़ा नज़्म होती है। गुलज़ार ने नज़्म के मैदान में जहां भी हाथ डाला, अपने नयेपन से नया गुल खिलाया। कुछ समय से वो बच्चों की नज़्म-ओ-नस की तरफ़ संजीदगी से मुतवज्जा हुए हैं।
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