रायपुर। (Polavaram Project Controversies) अब पोलावरम परियोजना के विवाद को पीएम नरेंद्र मोदी सुलझाएंगे। (PM Narendra Modi will resolve the dispute) पोलावरम परियोजना, आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी, विशाखापत्तनम, पश्चिम गोदावरी और कृष्णा जिलों में सिंचाई, जल विद्युत और पेयजल सुविधाओं के विकास के लिए गोदावरी नदी पर एक बहुउद्देश्यीय प्रमुख टर्मिनल जलाशय परियोजना है। आंध्रप्रदेश के पोलावरम मंडल के रामय्यापेटा गांव के पास गोदावरी नदी पर स्थित पोलावरम परियोजना कोव्वुर-राजमुंदरी सड़क-सह-रेल पुल से लगभग 34 किमी ऊपर और सर आर्थर कॉटन बैराज से 42 किमी ऊपर निर्माणाधीन है, जहां नदी पूर्वी घाट की अंतिम सीमा से निकलकर आंध्र प्रदेश के पश्चिमी गोदावरी जिले के मैदानी इलाकों में प्रवेश करती है।
जानकारी के अनुसार, बैठक में भूमि डूब, आदिवासी विस्थापन और पुनर्वास जैसे मुद्दे पर बढ़ते अंतर-राज्यीय तनाव का सवर्मान्य समाधान खोजना है. इस गतिरोध को तोड़ने की दिशा में प्रधानमंत्री मोदी की सीधी मध्यस्थता निर्णायक साबित हो सकती है.
जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री की इस पहल से अंतर- राज्यीय मतभेद दूर होंगे और परियोजना के कार्य में तेजी आएगी, जो बार – बार बाधित हो रहा है. पोलावरम परियोजना को आंध्र प्रदेश के विभाजन के समय राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिया गया था। हालांकि, परियोजना के निर्माण से ओडिशा, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमावर्ती आदिवासी आबादी प्रभावित हो रही है।
छत्तीसगढ़ का आरोप है कि परियोजना से कई गांवों में जल डूब की स्थिति उत्पन्न होगी, जिससे आदिवासी परिवारों का विस्थापन होगा. इन मुद्दों पर केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं ओडिशा की भी आपत्ति है. यही नहीं इस विषय को लेकर इन राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं भी दायर कर रखी हैं.
पोलावरम बांध पर पूर्ववर्ती डॉ. रमन सिंह सरकार के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ विधानसभा में अशासकीय संकल्प पारित हुआ था. मरवाही विधायक अमित जोगी ने संकल्प में केंद्र सरकार से इंदिरा सागर अंतर्राज्यीय परियोजना के तहत आंध्र प्रदेश की गोदावरी नदी पर बनने वाले पोलावरम बांध की ऊंचाई को 150 फीट तक रखने का अनुरोध किया गया था.
इस बहुउद्देशीय प्रमुख सिंचाई परियोजना का उद्देश्य 4,36,825 हेक्टेयर की सकल सिंचाई क्षमता का विकास करना है. इस परियोजना में 960 मेगावाट जल विद्युत उत्पादन, 611 गांवों में 28.50 लाख की आबादी को पेयजल आपूर्ति और 80 टीएमसी पानी को कृष्णा नदी बेसिन में मोड़ना भी शामिल है.
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