रायपुर। विष्णु देव साय के मुख्यमंत्री बनने के बाद से इस साल राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने अब तक 6 एफआईआर की है। भूपेश सरकार के समय के शराब, कोल लेवी, कस्टम मिलिंग और डीएमएफ घोटाले के बाद सबसे चर्चित रहे महादेव बुक ऐप केस में भी एफआईआर कर ली गई है। 4 मार्च को दर्ज हुए एफआईआर में 19 लोगों को नामजद आरोपी बनाया गया है।
इस अवैध राशि कर व्यवस्था और वितरण के लिए हवाला ऑपरेटरों का इस्तेमाल किया गया। साथ ही अवैध प्रोटेक्शन मनी अधिकारियों के जरिए बांटी गई। प्रोटेक्शन मनी की राशि हवाला ऑपरेटरों के माध्यम से राशि वितरण करने वाले पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों तक पहुंचती थी। जिसे ये लोग संबंधित पुलिस- प्रशासनिक अधिकारियों और प्रभावशाली राजनैतिक व्यक्तियों तक पहुंचाते थे। इन अफसरों और प्रभावशाली राजनैतिक व्यक्तियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए हुए प्रोटेक्शन मनी के रूप में अवैध आर्थिक लाभ लेते हुए अवैध संपत्ति अर्जित की गई है। ईडी ने कई अचल संपत्तियों का प्रोविजनल अटैचमेंट किया गया है।
एफआईआर में इस बात का भी उल्लेख है कि महादेव बुक ऐप के प्रमोटर्स ने ऑनलाइन बैटिंग से अर्जित अवैध राशि को कई कंपनियों में निवेश किया है। शैल कंपनियों और शेयर मार्केट में भी रकम इन्वेस्ट की गई है। प्रमोटर्स ने ऑनलाइन सट्टा के प्रमोशन के लिए सट्टेबाजी वेबसाईटों में भारी मात्रा में नगद रकम खर्च की गई है। इसके लिए हर साल एनुअल स्टार स्टडेड प्रोग्राम कराए जाते थे, जिसमें शामिल हस्तियों को सट्टेबाजी से मिले अवैध राशि से भुगतान किया जाता था।
ईओडब्ल्यू ने एफआईआर में भूपेश बघेल के अलावा रवि उप्पल, शुभम सोनी, चंद्रभूषण वर्मा, असीमदास, सतीश चंद्राकर, नीतीश दीवान, सौरभ चंद्राकर, अनिल अग्रवाल, विकास छापरिया, रोहित गुलाटी, विशाल आहुजा, धीरज आहुजा, अनिल दम्मानी, सुनील दम्मानी, भीम सिंह यादव, हरीशंकर तिबरवाल, सुरेंद्र बागड़ी और सूरज चोखानी को आरोपी बनाया है।
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