नई दिल्ली, 22 अगस्त (आईएएनएस)। अजमेर के बलात्कार और ब्लैकमेल कांड (Ajmer rape and blackmail scandal) पर 32 साल बाद कोर्ट का फैसला आया है। छह दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई (Sentenced to life imprisonment) गई है। 1992 का ये वो कांड है जिसे सुनकर पूरा देश हिल गया था और सूफियाना शहर की आंखें शर्म से झुक गई थीं।
राजस्थान के अजमेर में डर्टी पिक्चर का ऐसा खेल खेला गया, जिसने पूरे प्रदेश को ही नहीं भारत देश को शर्मसार किया। 100 से अधिक लड़कियां ऐसी थीं, जिनके साथ बलात्कार किया गया। उनकी अश्लील तस्वीरें खींच ब्लैकमेल तक किया गया। और इस घिनौने कांड के तार अजमेर के रसूखदार चिश्ती परिवार से जुड़े थे।
साल 1992 में संतोष गुप्ता नाम के पत्रकार ने ‘नवज्योति न्यूज’ पर पहली बार इस खबर को छापा था। इस खबर की हेडलाइन थी “बड़े लोगों की बेटियां ब्लैकमेलिंग का शिकार”, जब ये खबर अजमेर के घर-घर तक पहुंची तो हर कोई हैरान रह गया। कुछ दिन बीत जाने के बाद ‘नवज्योति न्यूज’ में एक और छबर छपी। इस बार खबर में आरोपियों की फोटो भी सामने आई। खबर की हेडलाइन थी, “छात्राओं को ब्लैकमेल करने वाले आजाद कैसे रह गए?”, इन तस्वीरों में आरोपियों के साथ पीड़ित लड़कियां भी थीं। अजमेर से जयपुर तक शासन-प्रशासन में हड़कंप मच गया।
अजमेर में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन होने लगे। मामले के तूल पकड़ने के बाद जांच शुरू की गई और इस जांच के दौरान कई चौंकाने वाले खुलासे हुए। तहकीकात के दौरान पता चला कि अजमेर कांड में शहर की नामी हस्तियां शामिल थीं। इनमें युवा कांग्रेस के शहर अध्यक्ष और दरगाह के खादिम चिश्ती परिवार के फारूक चिश्ती, नफीस चिश्ती, अनवर चिश्ती शामिल थे। इसके अलावा अलमास महाराज, इशरत अली, इकबाल खान, सलीम, जमीर, सोहेल गनी, पुत्तन इलाहाबादी, नसीम अहमद उर्फ टार्जन, परवेज अंसारी, कैलाश सोनी, महेश लुधानी, पुरुषोत्तम और हरीश तोलानी जैसे नामों से भी पर्दा उठा। जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि हरीश तोलानी नाम का शख्स, लड़कियों की अश्लील फोटो तैयार करता था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस कांड की शुरुआत 1991 में हुई थी। शहर के एक युवा नेता ने बिजनेसमैन की बेटी से दोस्ती की थी। उसके बाद उसने लड़की को फारूक चिश्ती के फार्म हाउस पर बुलाया। यहां उसका बलात्कार किया गया और उसके बाद लड़की की अश्लील फोटो भी खीची गई। उन्होंने लड़की को ब्लैकमेल कर उसे अपनी दोस्तों को भी लाने के लिए कहा।
इसके बाद आरोपियों ने एक साल तक करीब 100 से अधिक लड़कियों का बलात्कार किया। इनमें 11 से 20 साल की स्कूल और कॉलेज जाने वाली लड़कियां थी। बताया जाता है कि पीड़िताएं अजमेर के एक मशहूर प्राइवेट स्कूल से ताल्लुक रखती थीं।
पीड़िताओं के बयान के बाद सबसे पहले आठ लोगों की गिरफ्तारी की गई। साल 1994 में पुरुषोत्तम नाम के एक आरोपी ने जेल से बाहर आने के बाद सुसाइड कर लिया। करीब छह साल बाद इस मामले में पहला फैसला आया और आठ आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। इस बीच कोर्ट को बताया गया कि कांड का मास्टरमाइंड फारूक चिश्ती स्किजोफ्रेनिक है इसलिए मुकदमे का सामना करने के लिए मानसिक तौर पर सक्षम नहीं है। लेकिन 2007 में, फास्ट-ट्रैक कोर्ट ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके बाद 2013 में, राजस्थान उच्च न्यायालय ने माना कि उसने बतौर कैदी पर्याप्त समय बिता दिया है इसलिए रिहाई दे देनी चाहिए।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अजमेर बलात्कार और ब्लैकमेल में कुल 18 आरोपी शामिल थे। इस मामले में जब पहली चार्जशीट दाखिल की गई थी तो उनमें 12 लोगों का नाम था। बता दें कि अजमेर कांड में जिन दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है, उनमें नफीस चिश्ती, नसीम उर्फ टार्जन, सलीम चिश्ती, इकबाल भाटी, सोहेल गनी और सईद जमीर हुसैन शामिल हैं। इस कांड का एक आरोपी अल्मास महाराज अब तक फरार है। उसके खिलाफ सीबीआई ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया है।