कनाडा में ‘खालिस्तानी’ पंजाब के ‘नए छात्रों’ को कर रहे टारगेट

पंजाब में अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh in Punjab) की घटना के बाद कनाडा में खालिस्तानी (khalistani in canada) कार्यकर्ता सुर्खियां बटोर रहे हैं।

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  • Updated On - March 26, 2023 / 01:24 PM IST

टोरंटो, 26 मार्च (आईएएनएस)| पंजाब में अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh in Punjab) की घटना के बाद कनाडा में खालिस्तानी (khalistani in canada) कार्यकर्ता सुर्खियां बटोर रहे हैं। ब्रिटिश कोलंबिया के पूर्व प्रीमियर उज्जल दोसांझ कहते हैं, वे बिना किसी मकसद के यह सब कर रहे हैं, सिर्फ अपनी संतुष्टि के लिए। दोसांझ पर 1986 में वैंकूवर में सिख कट्टरपंथियों ने क्रूर हमला किया था, जब पंजाब में आतंकवादी हिंसा चरम पर थी। उन्होंने कहा कि खालिस्तान आंदोलन का कोई भविष्य नहीं है। दोसांझ कहते हैं, जून 1984 में वैंकूवर में 25,000 लोगों ने प्रदर्शन किया था, लेकिन अब केवल 100 लोग ही खालिस्तानी प्रदर्शनों में दिखाई दे रहे हैं।

कई लोगों को डर है कि कनाडा में खालिस्तानी समर्थक भावना बढ़ रही है। ब्रैम्पटन के एक उद्यमी सिख ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी को लेकर इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध के बाद पंजाब की स्थिति के बारे में ट्वीट करने में एनडीपी नेता जगमीत सिंह, सांसद सोनिया सिद्धू और अन्य लोगों की तत्परता क्या कहती है? यह कट्टरपंथी वोटबैंक के इशारे पर किया गया था।

उनका कहना है कि अधिकांश लोग बदले की कार्रवाई के डर से चुप हैं। वे कहते हैं, ”खालिस्तानियों के खिलाफ कोई भी मुंह नहीं खोलता, जिन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। कोई भी नेता जो उनके खिलाफ कुछ भी कहता है, उस पर गुरुद्वारों में प्रवेश और वैशाखी परेड में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है।”

टोरंटो में एक इंडो-कनाडाई रेस्तरां के मालिक का कहना है, जब अमृतपाल सिंह जैसी घटना होती है, तो खालिस्तान समर्थक मेयर, एमपी, एमपीपी और मंत्रियों के कार्यालयों पर हमला करते हैं, जिससे उन्हें जल्दबाजी में बयान देने या ट्वीट करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

रेस्टोरेंट मालिक का दावा है कि खालिस्तानी अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए पंजाब के नए छात्रों को लुभा रहे हैं और उनका इस्तेमाल कर रहे हैं। नौकरी, आवास और भोजन में मदद कर इन छात्रों का ब्रेनवॉश करते हैं।

टोरंटो रेस्तरां के मालिक कहते हैं, ”छात्रों को खालिस्तानी प्रदर्शनों में शामिल किया जा रहा है।”कनाडा-इंडिया फाउंडेशन के राष्ट्रीय संयोजक रितेश मलिक, जिसे आरएसएस समर्थक होने के कारण कट्टरपंथियों द्वारा निशाना बनाया गया है, कनाडा में भारतीय विरोधी भावना के उदय के लिए राजनीतिक तुष्टिकरण को जिम्मेदार ठहराते हैं।

मलिक कहते हैं, राजनेताओं को पहचान की राजनीति करना बंद करना चाहिए। अपराधी अपराधी होता है- सिख या हिंदू या मुसलमान नहीं। इन तत्वों का समर्थन करके, मंत्री और सांसद खतरनाक खेल खेल रहे हैं और कनाडा को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

ब्रैम्पटन पंजाबी पत्रकार बलराज देओल ने भी ब्लैक लिस्ट से खालिस्तानियों का नाम हटाकर भारत सरकार पर उनका हौसला बढ़ाने का आरोप लगाया। वे कहते हैं, मोदी सरकार ने खालिस्तानियों को अपने पक्ष में करने के लिए 2015 में यह प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन यह बिना किसी विचार के किया गया था। आज, हम भारतीय इसका परिणाम देख रहे हैं।