सैन्य तेवर भारत-चीन के बीच सशस्त्र टकराव के जोखिम को बढ़ाते हैं : यूएस

चीन-भारत सीमा (India-China border) विवाद और शरहद पर सेनाओं की तैनाती से दोनों देशों के बीच टकराव का जोखिम बढ़ गया है।

  • Written By:
  • Publish Date - March 9, 2023 / 01:27 PM IST

नई दिल्ली, 9 मार्च (आईएएनएस)| चीन-भारत सीमा (India-China border) विवाद और शरहद पर सेनाओं की तैनाती से दोनों देशों के बीच टकराव का जोखिम बढ़ गया है। एक अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट ने यह चेतावनी दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां भारत और चीन द्विपक्षीय सीमा वार्ता में लगे हुए हैं और सीमा बिंदुओं को सुलझा रहे हैं, वहीं 2020 से घातक संघर्ष के मद्देनजर संबंध तनावपूर्ण रहेंगे, जो दशकों में सबसे गंभीर है।

विवादित सीमा पर भारत और चीन दोनों द्वारा सैन्य तैनाती दो परमाणु शक्तियों के बीच सशस्त्र टकराव के जोखिम को बढ़ाती है, जिसमें अमेरिकी हितों के लिए सीधा खतरा शामिल हो सकता है और अमेरिकी हस्तक्षेप की मांग करता है। इसने चेतावनी दी, “पिछले गतिरोधों से पता चलता है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर निम्न-स्तर के संघर्ष के तेजी से बढ़ने की क्षमता है।”

भारत और पाकिस्तान पर, खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि कश्मीर में हिंसक अशांति या भारत में एक आतंकवादी हमला दोनों देशों के बीच संभावित फ्लैशप्वाइंट हो सकता है। उधर, भारत और पाकिस्तान के बीच संकट विशेष रूप से चिंता का विषय है क्योंकि दोनों देश परमाणु-सशस्त्र हैं। नई दिल्ली और इस्लामाबाद संभवत: 2021 की शुरुआत में नियंत्रण रेखा पर दोनों पक्ष फिर से संघर्ष विराम के बाद अपने संबंधों में मौजूदा शांति को मजबूत करना चाहते हैं।

इसमें कहा गया, “हालांकि, पाकिस्तान का भारत-विरोधी उग्रवादी समूहों का समर्थन करने का एक लंबा इतिहास रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, पाकिस्तानी उकसावों का सैन्य बल से जवाब देने भारत की अधिक संभावना है।” रिपोर्ट में आगे कहा गया कि यूक्रेन में चल रहे युद्ध ने प्रदर्शित किया है कि दो देशों में संघर्ष न केवल सीधे तौर पर दोनों को प्रभावित करता है, बल्कि एक क्षेत्रीय और यहां तक कि वैश्विक स्तर पर व्यापक सुरक्षा, आर्थिक और मानवीय प्रभाव छोड़ सकता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ये देशों के बीच संभावित संघर्ष बड़े नतीजे में बदल सकते हैं, जिन पर तत्काल अमेरिका को ध्यान देने की जरूरत है।”