‘किल ऐंड डंप’ की नई बर्बरता: बलूच पत्रकार अब्दुल लतीफ की परिवार के सामने हत्या, पाकिस्तान में आक्रोश

बलूच यकजहती कमेटी ने बयान जारी कर कहा कि यह सिर्फ एक परिवार का नहीं, बल्कि पूरी बलूच कौम को चुप कराने की कोशिश है।

  • Written By:
  • Publish Date - May 25, 2025 / 08:33 PM IST

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के बलूचिस्तान (Baluchistan) प्रांत से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। जाने-माने बलूच पत्रकार अब्दुल लतीफ की शनिवार को अज्ञात बंदूकधारियों ने उनके घर में घुसकर परिवार के सामने गोली मारकर हत्या कर दी। यह घटना तब हुई जब हमलावर उन्हें अगवा करने की कोशिश कर रहे थे और उन्होंने विरोध किया।

बलूच यकजहती कमेटी ने बयान जारी कर कहा कि यह सिर्फ एक परिवार का नहीं, बल्कि पूरी बलूच कौम को चुप कराने की कोशिश है। लतीफ ने ‘डेली इंतिखाब’ और ‘आज न्यूज़’ जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों के साथ काम किया था और वे बलूचिस्तान में मानवाधिकार हनन और उत्पीड़न के खिलाफ बेखौफ रिपोर्टिंग के लिए पहचाने जाते थे।

डीएसपी दानियाल काकर ने पुष्टि की कि बंदूकधारियों ने जबरन घर में घुसकर उन्हें अगवा करने की कोशिश की, लेकिन लतीफ के विरोध करने पर मौके पर ही गोलियों से भून डाला गया।

इस घटना की भयावहता तब और बढ़ जाती है जब यह पता चलता है कि कुछ महीने पहले लतीफ के बेटे सैफ बलूच और 7 अन्य परिजनों को अगवा कर मार दिया गया था।

बलूच महिला मंच की संयोजिका शाले बलूच ने इसे बलूच जनता पर हो रहे सुनियोजित अत्याचारों का हिस्सा बताते हुए कहा, “यह सिर्फ एक पत्रकार की हत्या नहीं, बल्कि राज्य प्रायोजित उत्पीड़न, जबरन गुमशुदगी, यातना और फर्जी मुठभेड़ों की एक और मिसाल है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अब खामोश नहीं रहना चाहिए।”

उन्होंने कहा कि, “बलूच नरसंहार पर जारी चुप्पी अब अस्वीकार्य है। अब समय है न्याय के लिए आवाज़ उठाने का, इससे पहले कि और खून बहे।”

पाकिस्तान फेडरल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (PFUJ) और कई अन्य पत्रकार संगठनों ने अब्दुल लतीफ की हत्या की कड़ी निंदा की है।

इस घटना को ‘किल एंड डंप’ नीति के तहत पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों को निशाना बनाए जाने की कड़ी में देखा जा रहा है। पुलिस का कहना है कि हमलावर फरार हो गए हैं और कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है, लेकिन जांच जारी है।

पत्रकारिता पर बढ़ते हमलों और अभिव्यक्ति की आज़ादी के लगातार दमन को लेकर यह घटना पाकिस्तान की नीतियों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।