मासिक धर्म से जुड़ी बीमारी छुपाना तलाक का आधार छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
By : hashtagu, Last Updated : December 15, 2025 | 5:26 am
बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) ने एक अहम फैसले में कहा है कि विवाह से पहले मासिक धर्म से जुड़ी गंभीर स्वास्थ्य समस्या को छुपाना तलाक का वैध आधार हो सकता है। हाईकोर्ट ने इस मामले में फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए पति को तलाक की अनुमति दे दी है।
जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की खंडपीठ ने कहा कि रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्यों से यह स्पष्ट होता है कि पत्नी ने शादी से पहले अपनी स्वास्थ्य स्थिति से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य छुपाए थे। कोर्ट ने माना कि फैमिली कोर्ट ने सबूतों का सही मूल्यांकन किया है।
मामले के अनुसार पति ने 16 मार्च 2022 को छत्तीसगढ़ के कवर्धा स्थित फैमिली कोर्ट में तलाक की याचिका दायर की थी। पति का कहना था कि उसकी पत्नी को शादी से लगभग दस साल पहले से मासिक धर्म नहीं हो रहा था और इस तथ्य को विवाह से पहले उससे छुपाया गया। दोनों की शादी 5 जून 2015 को हुई थी।
पति ने यह भी आरोप लगाया कि शुरुआती दिनों में वैवाहिक जीवन सामान्य रहा, लेकिन बाद में पत्नी का व्यवहार उसके परिवार के सदस्यों के प्रति ठीक नहीं रहा, जिससे संबंध बिगड़ते चले गए।
वहीं पत्नी ने खुद को संतान उत्पन्न करने में अक्षम मानने से इनकार किया और दावा किया कि डॉक्टरों ने उसे बताया था कि दवाइयों और योग के जरिए उसकी समस्या का समाधान संभव है। हालांकि हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पत्नी इस दावे के समर्थन में कोई भी मेडिकल प्रमाण पत्र या ठोस साक्ष्य पेश नहीं कर सकी।
इन परिस्थितियों को देखते हुए हाईकोर्ट ने पति को तलाक देने के फैमिली कोर्ट के फैसले को सही ठहराया। साथ ही कोर्ट ने पत्नी के हितों को ध्यान में रखते हुए पति को पांच लाख रुपये स्थायी गुजारा भत्ता के रूप में देने का निर्देश भी दिया।
यह फैसला वैवाहिक मामलों में पारदर्शिता और स्वास्थ्य से जुड़े तथ्यों के महत्व को रेखांकित करता है और भविष्य में ऐसे मामलों के लिए एक अहम मिसाल माना जा रहा है।

