रायपुर, छत्तीसगढ़: मध्य प्रदेश में कोल्ड्रिफ कफ सिरप (cough syrup) पीने से 14 बच्चों की मौत हो गई है. इस घटना के बाद केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी की है. अब मेडिकल स्टोर संचालक बिना डॉक्टर की पर्ची के दवाई नहीं बेच सकेंगे. नियम तोड़ने पर कार्रवाई की जाएगी.
छत्तीसगढ़ में भी अलर्ट जारी कर दिया गया है. रायपुर सहित कई मेडिकल स्टोर पर कोल्ड्रिफ जैसे फॉर्मूले वाला सिरप मिल रहा है, लेकिन इसे सिर्फ डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर ही दिया जा रहा है.
केंद्र सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने रविवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए छत्तीसगढ़ के नियंत्रक खाद्य एवं औषधि प्रशासन से चर्चा की. इस दौरान कफ सिरप को लेकर दिशा-निर्देश जारी करने और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई के निर्देश दिए गए.
छत्तीसगढ़ सरकार ने भी अब सतर्कता बढ़ा दी है. विभागीय अधिकारियों ने बताया कि दवा दुकानों पर सरप्राइज जांच की जाएगी. नियम तोड़ने पर मेडिकल स्टोर संचालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.
एडिशनल ड्रग कंट्रोलर बीआर साहू ने बताया कि कफ सिरप समेत अन्य दवाइयों को सिर्फ डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर ही बेचा जाना है. पहले भी यह नियम दवा दुकानदारों को समझाया गया है. अब केंद्र सरकार की एडवाइजरी के बाद इसे सख्ती से लागू किया जाएगा.
रायपुर दवा संघ के उपाध्यक्ष अश्वनी विग ने कहा कि कोल्ड्रिफ कफ सिरप अभी छत्तीसगढ़ में लॉन्च ही नहीं हुआ है. इसे तमिलनाडु की श्री सन फार्मा बनाती है, जिसका छत्तीसगढ़ में कोई डिपो नहीं है. इसलिए इस सिरप का स्टॉक यहां मौजूद नहीं है.
उन्होंने कहा कि जो दवाइयां बेची जा रही हैं, वे नियमानुसार नियंत्रक खाद्य एवं औषधि प्रशासन की मंजूरी के बाद ही दी जा रही हैं. शेड्यूल एच-1 की श्रेणी में आने वाली सभी दवाएं डॉक्टर की पर्ची दिखाने पर ही दी जा रही हैं.
रायपुर में 3 हजार और पूरे प्रदेश में करीब 8 हजार दवा दुकानें हैं. इन दुकानों में पूरी तरह से नियमों का पालन हो रहा है. राज्य में दवा का कारोबार करीब 500 करोड़ रुपये का है.
डॉक्टर, मरीज और मेडिकल स्टोर्स के लिए एडवाइजरी:
मरीजों के लिए:
सरकारी अस्पताल में तुरंत जांच कराएं.
बच्चा 6 घंटे तक पेशाब न करे तो डॉक्टर को दिखाएं.
झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज न कराएं.
खुद से मेडिकल स्टोर से दवा न लें.
उबला हुआ पानी पिएं और ताजा खाना खाएं.
मेडिकल स्टोर के लिए:
बिना प्रिस्क्रिप्शन कफ सिरप या कॉम्बिनेशन ड्रग्स न दें.
प्रतिबंधित फार्मूले वाली दवा न बेचें.
बिना पर्ची के एंटीबायोटिक भी न दें.
डॉक्टरों के लिए:
बच्चों को दी जा रही दवाओं की विशेष निगरानी करें.
अगर बच्चा 6 घंटे से ज्यादा पेशाब नहीं करता है तो हायर सेंटर रेफर करें.
मध्य प्रदेश की रिपोर्ट में सामने आया:
छिंदवाड़ा जिले में किडनी फेल होने से 11 बच्चों की मौत के मामले में जांच रिपोर्ट में पाया गया कि कोल्ड्रिफ सिरप में 46.2 प्रतिशत डायएथिलिन ग्लायकॉल पाया गया. वहीं तमिलनाडु की रिपोर्ट में यह मात्रा 48.6 प्रतिशत थी.
दो अन्य कफ सिरप नेक्स्ट्रो डीएस और मेफटॉल पी की रिपोर्ट ठीक आई है. इन्हें मानक गुणवत्ता वाला माना गया है. कुल 19 दवाओं के सैंपल लिए गए थे, जिनमें से 12 की रिपोर्ट आ चुकी है और 7 की रिपोर्ट अभी बाकी है.
कोल्ड्रिफ और नेक्स्ट्रो-डीएस बैन:
मध्यप्रदेश और तमिलनाडु में कोल्ड्रिफ और नेक्स्ट्रो-डीएस कफ सिरप को बैन कर दिया गया है. सीएम मोहन यादव ने कहा कि छिंदवाड़ा में बच्चों की मौत के बाद जांच के लिए तीन टीमें बनाई गई हैं. अब SIT बनाकर राज्य स्तर पर जांच होगी.
राजस्थान में भी मौतें:
राजस्थान के सीकर, भरतपुर और चूरू जिलों में भी कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत की खबर सामने आई है. जांच में Dextromethorphan hydrobromide syrup ip नामक सिरप की पुष्टि हुई है, जिसे केसंस फार्मा बनाती है.
राजस्थान सरकार ने इस कंपनी की सभी 19 दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है. साथ ही राज्य के ड्रग कंट्रोलर राजाराम शर्मा को निलंबित कर दिया गया है.
देशभर में बच्चों की मौत के बाद अब सरकारें सतर्क हो गई हैं और बिना डॉक्टर की सलाह के सिरप या कोई भी दवा न देने के निर्देश जारी किए गए हैं.
