पत्रकारों से मारपीट के बाद बाउंसरों का जुलूस निकाल कर घुमाया गया, सुरक्षा एजेंसी पर गिरी गाज
By : hashtagu, Last Updated : May 26, 2025 | 10:00 pm

रायपुर, छत्तीसगढ़: – राजधानी रायपुर में रविवार देर रात अंबेडकर अस्पताल में एक बड़ी घटना घटी, जिसने प्रदेशभर के पत्रकारों में आक्रोश की लहर दौड़ा दी। अस्पताल में चाकूबाजी की एक घटना की जानकारी लेने पहुंचे पत्रकारों के साथ प्राइवेट सुरक्षा एजेंसी के बाउंसरों (Bouncers) ने जमकर मारपीट की। शुरुआत में धक्का-मुक्की और बदसलूकी हुई, लेकिन देखते ही देखते मामला हाथापाई और हिंसा तक पहुंच गया।
घटना की सूचना मिलते ही अन्य पत्रकार भी अस्पताल पहुंच गए, लेकिन बाउंसरों ने उनके साथ भी मारपीट शुरू कर दी। इस हमले से नाराज होकर बड़ी संख्या में पत्रकार रात के समय मुख्यमंत्री निवास के बाहर धरने पर बैठ गए। विरोध करीब दो बजे तक चलता रहा। मौके पर अस्पताल अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर पहुंचे और कार्रवाई का आश्वासन दिया। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री ने भी सख्त कदम उठाने की बात कही।
रायपुर पुलिस द्वारा थाना मौदहापारा छेत्रांतर्गत पत्रकारों के साथ मारपीट करने एवं धमकी देने वाले 04 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। आरोपियों के विरूद्ध थाना मौदहापारा में अपराध पंजीबद्ध किया गया।
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देर रात पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपी चारों बाउंसरों को गिरफ्तार कर लिया और सोमवार को चारों आरोपियों का जुलूस निकालते हुए राजधानी की सड़कों पर घुमाया गया। पुलिस की इस कार्रवाई का उद्देश्य साफ था — बाउंसरों की गुंडागर्दी को जनता के सामने लाना और यह दिखाना कि कानून हाथ में लेने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
विवाद और गहराया जब प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसी का संचालक वसीम बाबू खुद पिस्तौल लेकर अस्पताल पहुंचा और पत्रकारों को धमकाने लगा। उसने महिला सुरक्षाकर्मियों को गेट से बाहर निकालकर पत्रकारों की ओर धकेलना शुरू किया, वो भी पुलिस की मौजूदगी में। इस पूरी घटना ने प्रशासन की कार्यप्रणाली और अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इस घटना से आहत होकर पत्रकारों ने दोबारा प्रदर्शन शुरू किया और तीन घंटे तक कार्रवाई की मांग करते रहे। जब कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तब गुस्साए पत्रकारों ने मुख्यमंत्री आवास का घेराव कर दिया।
घटना के बाद अस्पताल अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने मेडिकल कॉलेज डीन डॉ. विवेक चौधरी को पत्र लिखकर संबंधित प्राइवेट सुरक्षा एजेंसी का ठेका निरस्त करने की सिफारिश की है। पत्र में उन्होंने कहा है कि रविवार रात की घटना से अस्पताल की छवि और माहौल दोनों प्रभावित हुए हैं, इसलिए जांच के बाद एजेंसी का टेंडर रद्द कर देना चाहिए।
गौरतलब है कि इस एजेंसी को हर महीने 33 लाख रुपये का भुगतान किया जाता है। इसके तहत 216 सुरक्षाकर्मी और 10 सुपरवाइज़र तैनात हैं। इसके बावजूद अस्पताल में असुरक्षा और बदसलूकी का माहौल बना हुआ है। इतना ही नहीं, अस्पताल में 10 हथियारबंद गनमैन भी तैनात हैं, जबकि वहां पहले से ही एक पुलिस चौकी मौजूद है। मरीजों और उनके परिजनों से यह निजी गार्ड गुंडों जैसा व्यवहार करते हैं और मामूली बातों पर धमकियां देते हैं।
अब पत्रकार संगठनों की मांग है कि इस एजेंसी पर सख्त कार्रवाई हो, पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और अस्पताल में व्यवस्था को पूरी तरह से सुधारा जाए।