रायगढ़: रात में केराखोल गांव के तमनार वन परिक्षेत्र में बिछाई गई अवैध बिजली की तार की चपेट में एक दंतेल हाथी (tusked elephant) आकर गंभीर रूप से झुलस गया और रात में ही उसकी मौत हो गई। वनमंडल अधिकारी अरविन्द पीएम ने बताया कि शुरुआती जांच में पता चला है कि इलाके में जंगली सूअरों का शिकार रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर तार बिछाए गए थे, जिनमें यह हाथी फंस गया। घटना के बाद वन विभाग की टीम तुरंत मौके पर पहुंची, पोस्टमार्टम करवाया जा रहा है और आरोपियों की पहचान कर कार्रवाई की जा रही है। आसपास के लोगों से पूछताछ भी शुरू कर दी गई है।
यह घटना अकेली नहीं है; पिछले डेढ़ साल में रायगढ़ और आसपास के वनक्षेत्रों में करीब आधा दर्जन हाथियों की मौत हो चुकी है। चूहकीमार नर्सरी के पास लटकी 11 केवी की तार से करंट लगने से तीन हाथियों की मृत्यु हुई थी, घरघोड़ा रेंज में दो और धरमजयगढ़ वन मंडल में एक हाथी शावक गड्ढे में गिरकर डूबने से मरा था। साथ ही इस क्षेत्र में एक पुराना हाथी कंकाल भी मिला था, जो घटनाओं की पुनरावृत्ति और विभागीय उदासीनता की ओर इंगित करता है।
विशेषज्ञों और स्थानीय लोगों का कहना है कि घटनाओं की वजह ट्रैप-लाइन के रूप में अवैध विद्युत तार बिछाना, वन विभाग और विद्युत विभाग के बीच समन्वय की कमी और हाथियों के गतिशील मार्गों की उपेक्षा है। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने पहले भी इस तरह के मामलों पर वन विभाग और राज्य विद्युत मंडल को निर्देश दिए थे कि वन अंचलों में विद्युत खंभों और तारों की ऊँचाई सुनिश्चित की जाए ताकि जंगली हाथियों की जान बचाई जा सके।
वनमंडल अधिकारी अरविन्द पीएम ने बताया कि दोषियों की पहचान होते ही सख्त कार्रवाई की जाएगी। स्थानीय ग्रामीणों ने भी कहा है कि बिना वैकल्पिक सुरक्षा उपाय किए तार छिपाकर बिछाने और अवैध तरीकों को रोकने की आवश्यकता है, न कि केवल घटनाओं के बाद जांच और कागजी कार्रवाई। स्थिति को स्थायी रूप से सुधारने के लिए ट्रैप-लाइन हटाना, सुरंगदार गलियारों का संरक्षण और विभागीय निगरानी सख्त करना जरूरी बताया जा रहा है।