तेजी से नक्सल मुक्त की राह पर बस्तर : राज्य सरकार यहां जम्मू-कश्मीर मॉडल पर लाएगी होम स्टे पॉलिसी

कभी माओवादियों के गढ़ के रूप में कुख्यात रहा बस्तर अब विकास और पर्यटन की नई राह पर बढ़ चला है। राज्य सरकार यहां जम्मू-कश्मीर मॉडल पर होम स्टे

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  • Updated On - April 14, 2025 / 02:04 PM IST

रायपुर। कभी माओवादियों के गढ़ के रूप में कुख्यात रहा बस्तर अब विकास और पर्यटन की नई राह पर (Bastar is now on a new path of development and tourism) बढ़ चला है। राज्य सरकार यहां जम्मू-कश्मीर मॉडल पर होम स्टे पॉलिसी लागू (Home stay policy implemented) करने की तैयारी में है। सरकार का उद्देश्य बस्तर को पर्यटन का केंद्र बनाना और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करना है। राज्य सरकार ने इसके लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा है, ताकि आर्थिक मदद प्राप्त हो सके। पॉलिसी के तहत आदिवासी गांवों में छोटे-छोटे पर्यटन केंद्र विकसित किए जाएंगे।

इसके लिए ग्रामीणों को उनके घर के अतिरिक्त एक और घर बनाने के लिए आर्थिक सहायता दी जाएगी। पर्यटक इन घरों में ठहरेंगे, स्थानीय व्यंजन खाएंगे और गांव की संस्कृति को करीब से जानेंगे। इससे ग्रामीणों की आय में इजाफा होगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था को नया जीवन मिलेगा। बताते चलें कि एक होम स्टे विकसित करने में औसतन एक लाख रुपये तक का खर्च आता है। छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल इसकी डिजाइन खुद तैयार करेगा। इससे ग्रामीणों के रोजगार का नया रास्ता मिलेगा और प्रदेश के पर्यटन को पंख लगेंगे।

बस्तर, सरगुजा के बाद अन्य जिलों में विस्तार

पर्यटन मंडल के प्रबंध संचालक विवेक आचार्य ने बताया कि केंद्र से प्रस्ताव स्वीकृत होते ही योजना का क्रियान्वयन शुरू कर दिया जाएगा। ग्रामीणों को इसकी जानकारी दी जाएगी और इच्छुक लोगों का पंजीयन किया जाएगा। इसके बाद उन्हें होम स्टे निर्माण के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी।

चित्रकोट और धुड़मारास जैसे गांवों होंगे विकसित

बस्तर जिले के चित्रकोट और धुड़मारास गांवों को हाल ही में ‘बेस्ट टूरिज्म विलेज 2024’ प्रतियोगिता में विशेष सम्मान मिला है। यह सम्मान केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने प्रदान किया। धुड़मारास गांव अपनी एडवेंचर गतिविधियों के लिए लोकप्रिय है। वहीं, चित्रकोट जलप्रपात अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत के लिए विश्व प्रसिद्ध है। सरकार अब ऐसे अन्य गांवों की पहचान कर रही है जो पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं।

छोटेबोडाल : बस्तर का पहला मिलिस्टिक विलेज होम स्टे

बस्तर जिले में होम स्टे की शुरुआत सबसे पहले छोटेबोडाल गांव से हुई। यह गांव नांगूर के पास स्थित है और बस्तर मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर है। यहां 2007 में शकील रिजवी ने जिले का पहला होम स्टे शुरू किया, जो तीन कमरों वाला एक पारंपरिक मिट्टी का घर है।

इस घर में 12 लोगों के ठहरने की व्यवस्था है। यहां आने वाले पर्यटक न केवल ग्रामीण परिवेश का आनंद लेते हैं, बल्कि आदिवासी जीवनशैली, परंपराएं, और स्थानीय वनस्पतियों के बारे में भी जानकारी प्राप्त करते हैं।

र्यटन मंडल कर रहा विस्तार की तैयारी

बस्तर में वर्तमान में 27 होम स्टे चल रहे हैं। चित्रकोट के आस-पास के गांवों में भी जिला प्रशासन की मदद से होम स्टे विकसित किए गए हैं। यह ग्रामीणों के लिए आय के नए स्रोत बन रहा है।

माओवाद सिमटा, सुरक्षित हुए पर्यटन क्षेत्र

बस्तर के कोंडागांव और बस्तर जिले माओवादी प्रभाव से लगभग पूरी तरह मुक्त हो चुके हैं। सुकमा, नारायणपुर और बीजापुर जैसे जिलों में अब भी कुछ हद तक नक्सली गतिविधियां हैं।मगर, राज्य सरकार की रणनीति और सुरक्षाबलों की मुस्तैदी से हालात तेजी से बदल रहे हैं। अब पर्यटन विभाग का फोकस उन क्षेत्रों पर है जो अब सुरक्षित हो चुके हैं।

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