रायपुर: छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने शराब, कोयला और चर्चित महादेव सट्टा ऐप घोटाले की जांचों के बीच गिरफ्तारी से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की है। उन्होंने दावा किया है कि जैसे उनके बेटे चैतन्य बघेल को “राजनीतिक द्वेष” के तहत गिरफ्तार किया गया, उसी तरह उन्हें भी निशाना बनाया जा सकता है।
याचिका में बघेल ने भरोसा दिलाया है कि वे जांच में पूरा सहयोग करेंगे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि उन्हें गिरफ्तारी से संरक्षण दिया जाए। माना जा रहा है कि शीर्ष अदालत इस याचिका पर जल्द सुनवाई कर सकती है।
पूर्व सीएम के बेटे चैतन्य बघेल, जिन्हें हाल ही में शराब घोटाले में गिरफ्तार किया गया है, वे भी सुप्रीम कोर्ट में जमानत की गुहार लगा चुके हैं। उनकी याचिका में कहा गया है कि उनका नाम न तो ED की FIR में है, न ही किसी गवाह ने उन्हें आरोपी बताया है। इसके बावजूद उन्हें राजनीतिक मकसद से फंसाया गया।
गौरतलब है कि चैतन्य को ED ने 20 जुलाई को गिरफ्तार किया था। फिलहाल वे रायपुर जेल में न्यायिक हिरासत में हैं, जो 4 अगस्त को समाप्त हो रही है। संभावना है कि कल उन्हें दोबारा अदालत में पेश किया जाएगा और ED रिमांड बढ़ाने की मांग कर सकती है।
लगभग 5 महीने पहले, ED ने भूपेश बघेल के घर पर छापेमारी की थी। करीब 10 घंटे चली इस कार्रवाई के बाद, एजेंसी 32-33 लाख रुपए नकद और कुछ दस्तावेज जब्त कर ले गई थी। बाद में भूपेश बघेल ने इसे “राजनीतिक बदले की कार्रवाई” बताया था।
अब ED का आरोप है कि चैतन्य बघेल ने शराब कारोबारी लक्ष्मी नारायण बंसल उर्फ पप्पू के साथ मिलकर 1000 करोड़ रुपए के घोटाले की रकम को हैंडल किया। पूछताछ में बंसल ने EOW को बताया कि इस रकम को कई चैनलों के जरिए आगे बढ़ाया गया। इसमें अनवर ढेबर, दीपेन चावड़ा और राम गोपाल अग्रवाल जैसे नाम शामिल हैं।
ED का यह भी दावा है कि चैतन्य ने कथित रूप से केके श्रीवास्तव को 100 करोड़ रुपए नकद दिलवाने की व्यवस्था की थी।
चैतन्य के वकील फैजल रिजवी ने एजेंसी के आरोपों को पूरी तरह बेबुनियाद बताया है। उन्होंने कहा कि ED जिस 5 करोड़ के ब्याज-मुक्त लोन की बात कर रही है, उसका भुगतान चैतन्य ने दस्तावेजों के साथ ब्याज सहित किया है।
रिजवी ने दावा किया कि ED के पास फरवरी 2025 से संबंधित सभी दस्तावेज मौजूद हैं, इसके बावजूद गिरफ्तारी की कार्रवाई राजनीतिक द्वेष को दर्शाती है।
महादेव सट्टा ऐप केस और शराब घोटाला छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूचाल लाने वाले बड़े मामलों में गिने जा रहे हैं। ED, EOW और CBI इन मामलों की अलग-अलग परतें खोल रही हैं। जांच एजेंसियों का मानना है कि इस पूरे नेटवर्क में राजनीतिक संरक्षण और आर्थिक लेन-देन का एक संगठित तंत्र सक्रिय था।
अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर हैं। क्या भूपेश बघेल को गिरफ्तारी से राहत मिलेगी? क्या चैतन्य को जमानत दी जाएगी? इन सवालों के जवाब अगले कुछ दिनों में मिल सकते हैं।