Bhupesh Baghel Interview: छत्तीसगढ़ को बीते 4 साल में केंद्र से सिर्फ उपेक्षा मिली : भूपेश बघेल

चार वर्षों से उपेक्षित छत्तीसगढ़िया संस्कृति के गौरव की फिर से स्थापना हुई है। हमारे पुरखों का सम्मान बढ़ा है। अपने तीज-त्योहारों, छत्तीसगढ़िया संस्कृति को आगे बढ़ाने का काम हमारी सरकार ने किया है।

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  • Updated On - January 3, 2023 / 10:16 PM IST

रायपुर, 2 जनवरी (आईएएनएस)| छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में कांग्रेस (Congress) को सत्ता में आए चार साल का वक्त गुजर गया है। इस दौरान भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार ने अपनी पहचान नवाचार वाली सरकार की बनाई है। भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) को इस दौरान कई समस्याओं का सामना करना पड़ा, मगर उन्हें सबसे ज्यादा एतराज केंद्र सरकार के रुख से है, जिससे राज्य के खाते में सिर्फ उपेक्षा ही आई है। बघेल ने आईएएनएस को दिए गए साक्षात्कार के दौरान राज्य की बदलती तस्वीर और केंद्र सरकार के रवैए पर पूछे गए सवालों का खुलकर जवाब दिया।

सवाल : मुख्यमंत्री के तौर पर चार वर्ष का कार्यकाल पूरा हो गया है इस अवधि की बड़ी उपलब्धि और ऐसा कौन सा काम जो आप नहीं कर पाए या अगले साल किस योजना पर काम करने का इरादा है?

जवाब : चार वर्षों से उपेक्षित छत्तीसगढ़िया संस्कृति के गौरव की फिर से स्थापना हुई है। हमारे पुरखों का सम्मान बढ़ा है। अपने तीज-त्योहारों, छत्तीसगढ़िया संस्कृति को आगे बढ़ाने का काम हमारी सरकार ने किया है। हम लगातार आम जनता से किए वायदों को पूरा कर रहे हैं। किसानों की कर्जमाफी, सिंचाई कर माफी, राजीव गांधी किसान न्याय योजना के जरिए किसानों की उपज का उचित मूल्य देने के वादे, हाफ बिजली बिल, लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी, लघु वनोपजों का मूल्य संवर्धन, राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना के जरिए आर्थिक सहायता देने, गोधन न्याय योजना के जरिए गोवंश की रक्षा के साथ आय के नए साधन उपलब्ध कराने जैसे काम हमारी सरकार ने किए हैं।

छत्तीसगढ़ में गौठानों को रुरल इंड्रस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसके लिए रीपा योजना शुरू की गई है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज्य की परिकल्पना को साकार करने का काम हमारी सरकार ने किया है। ग्रामीण महिलाओं के चेहरे पर आत्मविश्वास की मुस्कान, ग्रामीणों का हमारी योजनाओं के प्रति बढ़ता विश्वास हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है।

सवाल : देश में बेरोजगारी बड़ी समस्या बनती जा रही है मगर छत्तीसगढ़ इसे नियंत्रित करने में सफल होता नजर आता है आखिर यह कैसे संभव हुआ?

जवाब : किसी भी सरकार के लिए रोजगार और अर्थव्यवस्था को मजबूत करना बड़ी चुनौती होती है। हमने इसी चुनौती को स्वीकार कर इस पर काम किया। मैंने यह देखा कि शहर के उत्पाद धीरे-धीरे गांवों तक तो पहुंच रहे थे लेकिन ग्रामीण पारम्परिक तौर पर कृषि और वनों के उत्पाद से दूर होते जा रहे थे। इससे उनका रोजगार तो छिन ही रहा था, साथ ही गांवों की अर्थव्यवस्था कमजोर पड़ने लगी थी। हमारी सरकार ने ग्रामीण उत्पादों को सही बाजार देने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सु²ढ़ करने का बीड़ा उठाया। दूसरी ओर छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा औद्योगिक विकास को गति देने के निर्णय के परिणामस्वरूप राज्य में लगभग चार साल के भीतर ही 2307 नए उद्योग स्थापित हुए, जिसमें 22 हजार 81 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश हुआ तथा 40 हजार 906 लोगों को रोजगार मिला है। चार वर्षों में औद्योगिक इकाइयों को 423 करोड़ स्थाई पूंजी निवेश अनुदान तथा 141 करोड़ ब्याज अनुदान राशि प्रदान की गई है। राज्य में बेरोजगार युवाओं को स्वयं का उद्यम या उद्योग स्थापना के लिए मुख्यमंत्री युवा स्व-रोजगार योजना लागू है, इसमें आर्थिक सहायता के लिए मनी मार्जिन अनुदान दिया जा रहा है। राज्य में चार सालों में कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण पर आधारित 486 इकाइयां स्थापित हुई है, जिसमें 931 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश हुआ है। छत्तीसगढ़ में हमारी सरकार ने अनेक ऐसे प्रयास किए हैं, जिससे लोगों को रोजगार मिले। यह सरकार के प्रयासों का ही परिणाम है कि बेरोजगारी दर के मामले में अक्टूबर 2022 माह को छोड़कर सितम्बर 2022 से निरंतर 0.1 प्रतिशत पर है।

सवाल : केंद्र सरकार से जिस तरह के सहयोग की अपेक्षाएं राज्य सरकार करती हैं वैसा सहयोग छत्तीसगढ़ को मिल रहा है और अगर नहीं तो राज्य पर किस तरह का असर हो रहा है?

जवाब : केन्द्र सरकार द्वारा बीते चार साल से लगातार छत्तीसगढ़ की उपेक्षा की जा रही है। हमने किसानों से 2500 रुपये में धान खरीदी का वायदा किया था, जिस पर केन्द्र सरकार ने रोड़ा अटकाया। धान खरीदी के वक्त बारदाना मुहैया कराने को लेकर भी उपेक्षा की गई। अनेक मदों में केन्द्र से छत्तीसगढ़ को करोड़ों की राशि प्राप्त होना शेष है। इसमें अंशदायी पेंशन में 17,240 करोड़ रुपये, जीएसटी क्षतिपूर्ति में 1,875 करोड़ रुपये, कोयले की रायल्टी में 4,140 करोड़ रुपये, केन्द्रीय बलों पर किए केन्द्र द्वारा हुए व्यय में राज्य की समायोजित राशि 1,288 करोड़ रुपये, राज्य में तैनात चार विशेष भारत रक्षित वाहिनियों पर राज्य द्वारा किए गए व्यय की प्रतिपूर्ति 313 करोड़ रुपये, भारत सरकार की सुरक्षा प्रतिपूर्ति व्यय योजना अंतर्गत 249 करोड़ रुपये और कस्टम मिलिंग के लिए धान परिवहन की राशि 906.43 करोड़ रुपये अब तक नहीं मिल पाए हैं।

सवाल : गोबर खरीदी और गौठान योजना देश में चर्चाओ में है, आखिर इसका विचार आया कैसे? अब तक इससे कितने किसान परिवारों जिंदगी में बदलाव आया और किस तरह का लाभ नजर आ रहा है?

जवाब : पूरे देश में आवारा मवेशी बड़ी समस्या रहे हैं। इस समस्या के तौर पर हर कोई देखता था और बात होती थी, लेकिन इसके समाधान पर किसी ने बात नहीं की। हमने इसका समाधान निकाला। हमने यह देखा कि दुधारू गायों को तो लोग घरों पर रखते थे और उनके चारा की व्यवस्था करते थे लेकिन बूढ़े हो चुके मवेशियों को लोग बाहर खुले में छोड़ देते थे, जिससे कई तरह की परेशानी सामने आती थी। हमने तय किया कि गोबर खरीदेंगे ताकि लोग गोबर से होने वाली आय को देखते हुए मवेशियों के लिए रहवास का इंतजाम करें और उनके चारे की भी व्यवस्था करें। हमारा यह विचार काम कर गया। लोगों को जब गोबर के बाद पैसे मिलने लगे तो लोगों ने अपने मवेशियों के लिए रहवास का इंतजाम किया, साथ ही चारे की भी व्यवस्था की। अब हम दो रुपये प्रति किलो में गोबर के साथ चार रुपये प्रति लीटर के हिसाब से गोमूत्र भी खरीद रहे हैं। इससे लोगों को अच्छी-खासी आय भी हो रही है।

सवाल : छत्तीसगढ़ की नक्सल समस्या ने विकास को भी प्रभावित किया है, युवा इस समस्या का हिस्सा न बने इसके लिए राज्य सरकार की क्या रणनीति है?

जवाब : हमने छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित अंचलों में विश्वास, विकास और सुरक्षा की नीति पर आगे बढ़ते हुए काम किया। हमारी सरकार ने अपनी नीतियों और काम के जरिए लोगों के विश्वास को जीतने का काम किया है। यह सरकार के सकारात्मक प्रयासों का ही परिणाम है कि छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में नक्सलियों द्वारा ध्वस्त किए गए स्कूलों को वर्षों बाद फिर से शुरू किया जा सका है। बस्तर जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में युवाओं को रोजगार से जोड़ने अनेक पहल की गई।

सवाल : राज्य सरकार ने पुरानी पेंशन योजना लागू करने का ऐलान कर दिया है मगर चुनौतियां भी कम नहीं है, क्या वाकई में इसे लागू करना आसान होगा?

जवाब : इस देश में दुर्भाग्य से एनपीएस को लागू कर लाखों अधिकारी-कर्मचारियों को बाजार के उथल-पुथल के बीच अनिश्चित भविष्य में झोंक दिया गया था। हमारी सरकार आयी तो हमने निश्चय किया कि अधिकारी-कर्मचारियों को सुरक्षित भविष्य प्रदान करेंगे और हमने इसी ध्येय से पुरानी पेंशन योजना लागू की। हमारे इस फैसले का छत्तीसगढ़ में स्वागत किया गया। पुरानी पेंशन बहाली के बाद सेवानिवृत्ति में निश्चित पेंशन का लाभ अधिकारी-कर्मचारियों को मिल पाएगा। हम केन्द्र सरकार से एनपीएस में कर्मचारियों के जमा पैसे लौटाने के लिए लगातार मांग कर रहे हैं। केन्द्र से सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है।