भूपेश सरकार ने रोकी थी ‘चरणपादुका’ योजना, 21 जून से फिर होगी शुरुआत

इस योजना पर लगभग 40 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे और लगभग 12 लाख 40 हजार तेंदूपत्ता संग्राहक परिवार की महिलाओं को लाभ मिलेगा।

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  • Publish Date - June 19, 2025 / 11:56 AM IST

रायपुर: भाजपा ने सत्ता में आने के बाद कांग्रेस शासनकाल (Congress government) के कई फैसलों में बदलाव किए हैं। कई योजनाओं के नाम बदले गए और जो बंद की गई थीं, उन्हें फिर से शुरू भी किया जा रहा है। इसी कड़ी में तत्कालीन भूपेश सरकार द्वारा बंद की गई चरणपादुका योजना भी शामिल है।

विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने इस महत्वाकांक्षी योजना को अपने संकल्प पत्र में शामिल किया था। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय 21 जून को जशपुर जिले के तपकरा में चरणपादुका योजना की पुनः शुरुआत करेंगे। इस मौके पर वे स्वयं तेंदूपत्ता संग्राहक परिवार की महिलाओं को चरणपादुका प्रदान करेंगे।

यह योजना राज्य के तेंदूपत्ता संग्राहकों से किया गया एक महत्वपूर्ण वादा है। इस योजना पर लगभग 40 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे और लगभग 12 लाख 40 हजार तेंदूपत्ता संग्राहक परिवार की महिलाओं को लाभ मिलेगा।

छत्तीसगढ़ में चरणपादुका योजना की शुरुआत 2005 में रमन सिंह के शासनकाल में हुई थी। शुरुआत में यह योजना केवल पुरुष संग्राहकों के लिए थी, लेकिन 2008 में इसमें महिलाओं को भी शामिल किया गया। 2013 में योजना का दायरा बढ़ाकर पुरुषों को जूते और महिलाओं को चप्पल दिए जाने लगे। अब पुनः इस योजना में महिलाओं को चप्पल वितरित किए जाएंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अप्रैल 2018 को बीजापुर के जांगला में आयोजित कार्यक्रम में तेंदूपत्ता संग्राहकों को चरणपादुका प्रदान किए थे। उस दिन पीएम मोदी ने आदिवासी महिला रानी बाई को अपने हाथों से चप्पल पहनाई थी। उस समय मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह भी मौजूद थे।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक न्याय और सुविधा पहुंचाना है। चरणपादुका वितरण केवल एक योजना नहीं है, बल्कि यह संग्राहक परिवार के स्वाभिमान और सुरक्षा का प्रतीक है। सरकार तेंदूपत्ता संग्राहकों के सम्मान और गरिमा का पूरा ध्यान रख रही है।