नारायणपुर, छत्तीसगढ़ | 11 सितंबर 2025: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले (Narayanpur district) में सुरक्षा बलों और सरकार की संयुक्त रणनीति को एक और बड़ी सफलता मिली है। लंबे समय से जंगलों में सक्रिय 16 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया है। आत्मसमर्पण करने वालों में पंचायत मिलिशिया के डिप्टी कमांडर, जनताना सरकार के सदस्य, न्याय शाखा अध्यक्ष, और मिलिशिया कार्यकर्ता जैसे पदों पर रह चुके कट्टर उग्रवादी शामिल हैं।
ये सभी नक्सली लंका और डूंगा जैसे दुर्गम और अंदरूनी इलाकों में सक्रिय थे, जहां नक्सली गतिविधियों का लंबे समय से दबदबा रहा है। सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई, स्थानीय पुलिस की पकड़ और सरकार की 2025 की नई आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति ने इन नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने को प्रेरित किया है।
‘छत्तीसगढ़ नक्सल आत्मसमर्पण / पीड़ित राहत और पुनर्वास नीति 2025’ का उद्देश्य न केवल नक्सलियों को समाज से जोड़ना है, बल्कि हिंसा के पीड़ितों को बेहतर मुआवजा, स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा और रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराना है। आत्मसमर्पण करने वालों को अब कानूनी सहायता, पुनर्वास पैकेज और समाज में सम्मानजनक जीवन शुरू करने का अवसर मिलेगा।
राज्य सरकार ने नक्सलवाद के खिलाफ एक दोहरी रणनीति अपनाई है — एक ओर जहां ऑपरेशन के ज़रिए जंगलों में दबाव बनाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर पुनर्वास और सहानुभूति के ज़रिए बंदूक छोड़ चुके युवाओं को वापस लाने का प्रयास किया जा रहा है।
नई नीति के तहत ‘गोपनीय सैनिकों’ यानी पुलिस के लिए खुफिया काम करने वाले नागरिकों को भी अधिक सुरक्षा और मुआवजा दिया गया है। यदि किसी मुखबिर की मौत होती है, तो अब मुआवजा 5 लाख से बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दिया गया है। स्थायी विकलांगता के मामले में 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है।
इस ताज़ा आत्मसमर्पण के साथ सरकार और सुरक्षा बलों को यह संकेत मिला है कि अब नक्सली संगठन के भीतर भी असंतोष पनप रहा है। बदलते हालात, ज़मीनी दबाव और बेहतर सरकारी नीतियों ने कई कट्टर उग्रवादियों को भी आत्मसमर्पण पर मजबूर किया है।