याचिकाकर्ताओं ने आंसर शीट ठीक से नहीं जांचे जाने का दिया था तर्क
रायपुर। बिलासपुर हाईकोर्ट ने सिविल जज परीक्षा २०२३(Bilaspur High Court Civil Judge Exam 2023) के परिणामों को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है. परिणाम को लेकर याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि उनकी उत्तर पुस्तिकाओं को जांचा ही नहीं गया (Answer sheets were not checked)है. जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की सिंगल बेंच ने मामले की सुनवाई की.
सिविल जज परीक्षा २०२३ (एंट्री लेवल) के परीक्षा में शामिल श्रेया उर्मलिया, हेमंत प्रसाद, पराग उपाध्याय, अनुराग केंवट , हेमू भारद्वाज समेत अन्य अभ्यर्थियों ने परिणाम को चुनौती देने हाईकोर्ट में रिट पिटीशन दायर की. याचिका में कहा गया कि, आयोग के परीक्षकों ने उनकी आंसर शीट को ठीक से नहीं जांचा है. इस वजह से उन सबका परिणाम प्रतिकूल रहा है.
बता दें, कि पीएससी ने सिविल जज के ४९ पदों के लिए ३ सितंबर २०२३ को प्रारम्भिक परीक्षा हुई, जिसका परिणाम २४ जनवरी २०२४ को आया. इसमें सभी याचिकाकर्ता सफल रहे. फिर २५ अगस्त २०२४ को मुख्य परीक्षा ली गई. जिसका परिणाम ८ अक्टूबर २०२४ को जारी किया गया. इस परीक्षा में पैटर्न बदले जाने की बात कही गई. इसके अनुसार अभ्यर्थियों को प्रश्न के ठीक नीचे ही दिए गये बॉक्स में उत्तर लिखना थ. इस तरह क्रमानुसार ही उत्तर देने थे. याचिकाकर्ताओं ने जवाब लिखते समय एक प्रश्न के नीचे किसी अन्य प्रश्न का जवाब लिख दिया. इसी वजह से पूर्व में दिए गये आयोग के निर्देशानुसार इन जवाबों की जांच नहीं की गई.
मामले की सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ पीएससी के अधिवक्ता डॉ. सुदीप अग्रवाल ने यह तथ्य पेश किया कि, उत्तर पुस्तिका में पहले ही यह बात उल्लेखित कर दी गई थी कि, पूछे गए प्रश्न के नीचे दिए गए निर्धारित सीमित स्थान पर ही उस प्रश्न का जवाब देना है अन्यथा वह दिया गया जवाब नहीं जांचा जायेगा. स्पष्ट निर्देश के बाद भी ऐसी गलती की गई.
अधिवक्ता डॉ. सुदीप अग्रवाल ने कहा कि, ८० प्रतिशत लोगों ने सही तरीके से ही अपने जवाब दिए. केवल २० प्रतिशत लोगों ने ही इस प्रकार की गलती की है. इनमे से सिर्फ १० प्रतिशत उम्मदीवारों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. उन्होंने हाईकोर्ट को यह भी बताया कि, १५ से २० डिस्ट्रिक्ट जजों की कमेटी मूल्यांकन करती है. इस कमेटी ने भी परीक्षा के बाद अपना अभिमत दिया था कि, हर प्रश्न के नीचे ही उसका उत्तर देना था.
सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि वर्तमान में ऐसे मामले नहीं हैं, जिनमें याचिकाकर्ताओं ने कुछ छोटी-मोटी गलतियां की हों, जैसे गलत रोल नंबर, उनकी संबंधित श्रेणियां, लिंग या कोई अन्य छोटी-मोटी औपचारिकताएं. चर्चा किए गए कानून और तथ्यों के प्रकाश में, इस न्यायालय की राय में, हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं बनता है. इसके साथ ही कोर्ट ने सभी याचिकाएं खारिज कर दी. सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने सिविल जज परीक्षा २०२३ के परिणाम को सही ठहराया.
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