छत्तीसगढ़। (Bastar) बस्तर संभाग में ही सत्ता की चाभी है। विधानसभा चुनाव में जिस पार्टी के पक्ष में जीत होती है, उसे सत्ता में इंट्री मिलती है। यहां 12 विधानसभा सीटों पर BJP की नजरें जमी हैं। यही वजह है कि ऐसा माना जाता है कि, किसी भी राजनीतिक पार्टी को अपनी सरकार बनानी हो तो सत्ता का रास्ता बस्तर से ही निकलता है। बस्तर की सारी १२ विधानसभा सीटों पर कोई भी पार्टी जीत दर्ज करती है तो सत्ता की कुर्सी पर बैठना आसान हो जाता है।
वर्तमान में बस्तर की सारी १२ विधानसभा सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा जमाकर रखा है। अब भाजपा के लिए बस्तर की सारी सीटों पर कब्जा जमाना एक बड़ी चुनौती होगी। भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का बस्तर प्रवास बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वे बस्तर की सीटों पर फतह हासिल करने कार्यकर्ताओं को चुनावी मंत्र देंगे।
निर्धारित समय के अनुसार जेपी नड्डा सुबह करीब ११ बजे जगदलपुर के मां दंतेश्वरी एयरपोर्ट पहुंचेंगे। यहां सबसे पहले जगदलपुर में स्थित बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी मंदिर पहुंचकर दर्शन करेंगे। जिसके बाद करीब १२ बजे जगदलपुर के भाजपा कार्यालय में कोर कमेटी की बैठक लेंगे। यह बैठक १ घंटे तक चलेगी।
बैठक के बाद १ बजकर ५० मिनट पर शहर के लालबाग मैदान पहुंचेंगे और यहां आम सभा को संबोधित करेंगे। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा आज छत्तीसगढ़ के जगदलपुर दौरे पर पहुंचेंगे। यहां वे भाजपा कोर कमेटी की बैठक लेंगे। इसके साथ ही लाल बाग मैदान में आयोजित आम सभा को संबोधित करेंगे। जेपी नड्डा के साथ छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह, समेत केंद्र से लेकर राज्य के कई दिग्गज नेता भी शामिल होंगे।
बताया जा रहा है कि, कोर कमेटी की बैठक में बस्तर की १२ विधानसभा सीटों में जीत दर्ज करने पर रणनीति बनेगी। साथ ही टिकट पर चर्चा की जाएगी। बस्तर में भाजपा के जो नेता चुनाव के लिए दावेदारी कर रहे हैं राष्ट्रीय अध्यक्ष को उनका रिपोर्ट कार्ड सौंपा जाएगा। जिसका मंथन करने के बाद ही आने वाले चुनाव में टिकट फाइनल की जाएगी। जेपी नड्डा का यह प्रवास भाजपा के लिए बेहद महत्वपूर्व बताया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ के बस्तर का राजनीतिक इतिहास काफी दिलचस्प रहा है। एक समय में यहां भाजपा के बलिराम कश्यप और कांग्रेस के महेंद्र कर्मा इन दोनों दिग्गज नेताओं का बड़ा नाम था। हालांकि, इन दोनों के निधन के बाद अब इलाके में कवासी लखमा का दबदबा भी देखने को मिलता है। साल २०११ में बलिराम कश्यप की मौत के बाद बस्तर में भाजपा को बड़ा झटका लगा है। यही वजह है कि कभी बस्तर की १२ विधानसभा सीटों में लगभग १० सीटों पर अपनी पकड़ बनाने वाली भाजपा का अब सूपड़ा साफ हो गया है। इसी वजह से अब राष्ट्रीय स्तर के भाजपा नेताओं को बस्तर में चिंतन शिविर भी करना पड़ा था।
इधर बस्तर को महेंद्र कर्मा का गढ़ भी कहा जाता था। बलिराम कश्यप के साथ महेंद्र कर्मा एक ऐसे नेता थे जिनकी पकड़ इलाके में काफी बजबूत थी। हालांकि, उस समय भी कांग्रेस को चुनाव में काफी उतार-चढ़ाव देखना पड़ा था। साल २००८ के विधानसभा चुनाव में दंतेवाड़ा विधानसभा सीट से भाजपा ने महेंद्र कर्मा के सामने भीमा मंडावी को उतारा था। भीमा ने चुनाव जीत कर सीट अपने कब्जे में कर ली थी। वर्तमान में महेंद्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा अब सीट पर काबिज हैं।