छत्तीसगढ़ नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा की जीत ऐतिहासिक : अरुण साव

By : hashtagu, Last Updated : February 17, 2025 | 2:53 pm

रायपुर, 17 फरवरी (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ के उप-मुख्यमंत्री अरुण साव (Arun Sao) ने सोमवार को नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा की जीत पर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि निगम की 10 सीटों पर भाजपा का ‘कमल’ खिला है। कांग्रेस बुरी तरह हारी है और अब उसे आत्मावलोकन करना चाहिए।

उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अगर राजधानी की बात करें, तो 70 में से 60 सीटें भाजपा ने जीती हैं। बिलासपुर में 70 में से 49 सीटें भाजपा को मिली हैं। यही हालात पूरे प्रदेश के हैं। नगरपालिका के 49 स्थानों पर चुनाव संपन्न हुए हैं। 49 में से 35 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं। पार्षदों की संख्या भी बढ़ी है। नगर पंचायतों में 114 में से 81 स्थानों पर भाजपा ने जीत दर्ज की है। 2,303 पार्षदों में से लगभग 1,900 पार्षद भाजपा के जीते हैं।

उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर इस बात को खारिज नहीं किया जा सकता है कि इस चुनाव में कांग्रेस की बुरी हालत हुई है। लेकिन, कांग्रेस के नेता आपस में लड़ने में मशगूल हैं और छत्तीसगढ़ की जनता इसका मजा ले रही है।

नगरीय चुनाव में हार के बाद कांग्रेस द्वारा ईवीएम को मुद्दा बनाए जाने पर अरुण साव ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेता वैसे तो हर मुद्दे पर संविधान की दुहाई देते हैं। कहते हैं कि संविधान सर्वोपरि है। उसी संविधान में न्यायालय का प्रावधान है, लेकिन अफसोस जब सुप्रीम कोर्ट की तरफ से यह स्पष्ट कर दिया जाता है कि ईवीएम में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी नहीं है, तो कांग्रेस के नेता उसे मानने को स्वीकार नहीं करते हैं।

उन्होंने कांग्रेस नेताओं को हिदायत देते हुए कहा कि ये लोग अपनी हार का ठीकरा ईवीएम पर न फोड़े, बल्कि आत्मचिंतन करें और यह जानने की कोशिश करें कि आखिर किन वजहों से इस पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस के झगड़ों का खामियाजा छत्तीसगढ़ की जनता भुगत चुकी है। पांच साल तक जब ये लोग सत्ता में थे, तब भी ये लोग लड़ते रहे और आज भी लड़ ही रहे हैं।

उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि इस पार्टी का जनहित से कोई सरोकार नहीं है। जनता के हितों से कोई लेना-देना नहीं है। यह पार्टी सिर्फ एक परिवार के हित के बारे में सोचती है।

जब उनसे मंत्रिपरिषद के विस्तार के संदर्भ में सवाल किया गया, तो उन्होंने दो टूक कहा कि यह पूरी तरह से मुख्यमंत्री के क्षेत्राधिकार का विषय है, लिहाजा मैं इस पर किसी भी प्रकार की टिप्पणी करना उचित नहीं समझता हूं। मैं समझता हूं कि समय आने पर मुख्यमंत्री इसका निर्णय करेंगे।

इसके साथ ही उन्होंने धर्मांतरण को लेकर भी सख्त लहजे में अपनी बात रखी। उन्होंने दावा किया कि पहले धर्मांतरण के मामले प्रकाश में नहीं आते थे और अगर आते भी थे, तो उनमें शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती थी, लेकिन अब जब धर्मांतरण से जुड़े मामले प्रकाश में आ रहे हैं, तो हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि उसमें संलिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

उन्होंने प्रेसवार्ता में जानकारी दी कि 24 फरवरी से बजट सत्र शुरू होने जा रहा है। इस सत्र में कुल 17 बैठक प्रस्तावित हैं।