छत्तीसगढ़ में रोजगार के जरिए सबल बनाने की मुहिम

देश में चाहे लोकसभा चुनाव हो या राज्य के चुनाव, उनके करीब आते ही सरकारें खजाने का मुंह खोल देती हैं और सौगातो की बरसात करने में नहीं हिचकती।

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  • Publish Date - September 3, 2023 / 11:21 AM IST

रायपुर, 3 सितंबर (आईएएनएस)। देश की राजनीति में एक बार फिर रेवड़ी कल्चर जोर पकड़ रही है। राजनीतिक दलों (political parties) को मतदाता को लुभाना पहली प्राथमिकता बनता जा रहा है, मगर देश में छत्तीसगढ़ एक नए मॉडल के तौर पर सामने आ रहा है, जहां रेवड़ी के साथ-साथ रोजगार के भी अवसर मुहैया कराए जा रहे हैं ताकि आम लोग आर्थिक तौर पर सबल तो बनें ही, साथ में अर्थ का पहिया भी तेज गति से दौड़ता नजर आए।

देश में चाहे लोकसभा चुनाव हो या राज्य के चुनाव, उनके करीब आते ही सरकारें खजाने का मुंह खोल देती हैं और सौगातो की बरसात करने में नहीं हिचकती। छत्तीसगढ़ में भी सौगातों की बरसात हो रही है, मगर लोगों को रोजगार कैसे मिले, किसानों को फसल का उचित दाम कैसे दिया जाए, साथ में ही स्वास्थ्य और शिक्षा की बेहतर व्यवस्था के लिए किस तरह के कदम उठाए जाएं, वहीं औद्योगिक संस्थानों की कितनी मदद की जाए।इसके लिए बने रोड मैप पर सरकार की ओर से कदम बढ़ाए जा रहे हैं।

राज्य के बदलते हालात पर गौर करें तो एक बात साफ नजर आती है कि ग्रामीण आबादी वाले इस प्रदेश में आमजन की आय का सबसे बड़ा जरिया कृषि कार्य, वन उपज और पशुपालन पर निर्भर है। इसी के चलते सरकार ने सबसे पहले ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर जोर दिया और लोगों को रोजगार मुहैया करने के मकसद से गौठान, जिसे हम मवेशियों का डे केयर सेंटर भी कह सकते हैं, स्थापित किया। यहां गोबर दो रुपये और गौ मूत्र की चार रुपए प्रति किलो की दर से खरीदी हो रही है। इतना ही नहीं ग्रामीण स्तर पर रूरल इंडस्ट्रियल पार्क बनाए गए हैं। वन उपज की समर्थन मूल्य पर खरीदी हो रही है। इसके अलावा, धान का समर्थन मूल्य भी बढ़ाया गया है।

एक तरफ जहां ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कदम बढे तो दूसरी ओर बच्चों को बेहतर शिक्षा मुहैया करने के लिए स्वामी आत्मानंद स्कूल की श्रृंखला की शुरुआत हुई। इन स्कूलों में बच्चों को हिंदी और अंग्रेजी माध्यम में उत्कृष्ट शिक्षा मुहैया कराई जा रही है। यह स्कूल प्राइवेट स्कूलों से भी बेहतर है।

इसी तरह स्वास्थ्य सेवा को दूरस्थ इलाकों तक पहुंचाने के लिए हाट बाजार क्लीनिक की शुरुआत की गई है।बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भत्ता भी दिया जा रहा है। ऐसा नहीं है कि राज्य सरकार ने रेवड़िया बांटने में कसर छोड़ी हो, किसान कर्ज माफी हो, बिजली बिल में कटौती हो, बेरोजगारी भत्ता हो, यह ऐसे कई मामले हैं जिन्होंने राज्य की आर्थिक स्थिति पर बोझ बढ़ने का काम किया है। अब राज्य सरकार आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर 500 में गैस सिलेंडर जैसी योजना का ऐलान करने की तैयारी में है।

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज का दावा है कि राज्य सरकार ने आमजन से 36 वादे किए थे, जिनमें से 34 वादे पूरे कर दिए गए हैं। हर वर्ग को न्याय मिला है। यही कारण है कि जनता का सरकार पर भरोसा बढ़ा है। उन्होंने कहा, आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 75 से ज्यादा सीटें मिलेंगी।

वहीं दूसरी ओर भाजपा कांग्रेस पर वादाखिलाफी के आरोप लगा रही है। भाजपा ने सरकार पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि जो वादे किए गए थे, वो सरकार ने पूरे नहीं किए हैं। चाहे बेरोजगारों को भत्ता देने की बात हो, रोजगार की बात हो, निवेश बढ़ाने की बात हो।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव का कहना है कि राज्य की भूपेश बघेल सरकार लाखों गरीब परिवारों का घर छीन रही है, केंद्र से जनता के लिए अनाज आता है और यह सरकार हजम कर जाती है। केंद्र के पैसे का उपयोग कांग्रेस अपना गुजारा चलाने में कर रही है। राज्य के भ्रष्टाचारियों के कारण ही विकास नहीं हो रहा है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीते पांच साल में स्थितियों में बदलाव आया है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति देने की कोशिश की गई है, वहीं रोजगार के अवसर भी ग्रामीण इलाकों में विकसित किए गए हैं।इतना ही नहीं, छत्तीसगढ़ी अस्मिता को भी जागने का काम राज्य सरकार ने किया है। इसके बावजूद छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़िया को जो हासिल होना चाहिए उससे वह अभी भी दूर है।