CG-Inside story : 29 नक्सलियों के ‘Encounter’ पर ‘सियासी’ महाभारत! किसे है ‘शक’ और किसे ‘गर्व’

आखिर कब तक नेता हर चीज और देश की समस्या और हर घटना को अपने सियासी चश्मे से देखने की कोशिश करते रहेंगे। आज एक सवाल आज छत्तीसगढ़ ही नहीं

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  • Updated On - April 17, 2024 / 08:50 PM IST

रायपुर। आखिर कब तक नेता हर चीज और देश की समस्या और हर घटना को अपने सियासी चश्मे से देखने की कोशिश करते रहेंगे। आज एक सवाल आज छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) ही नहीं देशवासियों के मन में भी उठ रहा है। आतंकवाद और माफियाओं के पक्ष में अप्रत्यक्ष रूप से बोल वचन बोलने में उन्हें कोई गुरेज नहीं। अधिकारों और मूल सुविधाओं से वंचित जनता के लिए नेता आवाज उठाना तो जैसे भूल गए है। यहां छत्तीसगढ़ के नक्सली बिहड़ों (Naxalite Ravagers) में जवानों के शहीद होने की दांस्ता बहुत ही लंबी और दर्दनाक है। लेकिन क्या होता है, जवान अपनी ड्यूटी को पूरा करते हुए आतंकवाद से लड़ते हुए शहीद हो जाते हैं। कुछ शोक संवेदनाएं नेताओं द्वारा व्यक्त कर दी जाती है। बाद में धीरे-धीरे समय के परिद्श्य में उनकी वीरगाथाओं को सिर्फ कुछ विशेष दिवस पर याद कर लिया जाता है।

सवाल उठता है कि जवान देश के अंदर राष्ट्रविरोधी ताकतों से लड़ते हैं या सीमा के बाहर बालाकोट में जाकर सर्जिकल स्ट्राइक करते हैं तो उसे भी सियासी मुद्दा बनाने में विपक्ष या कुछ वामपंथी सोच रखने वाले नेता सवाल उठाते हैं तो हर देशवासियों के दिल में एक अजीब से बेचैनी और मन में हैरानी होती है।

  • भारतीय लोकतंत्र में अप्रत्यक्ष तरीके से आंतकवाद के समर्थकों को समर्थन देने में भी नहीं चूकते हैं। ऐसा नहीं है कि जनता उनकी बातों को नहीं समझती है। क्योंकि अब जनता वर्षों पुरानी सोच से अलग हटकर सोचती है। पूरे देश ने आंतकवाद की बड़ी विभिषिका को झेला है। जातिवाद पर भड़काए गए दंगों का दंश झेलकर आज भी पीढ़ी दर पीढ़ी उस दर्द को महसूस करती है। रूह को कंपा देने वाली हिंसाओं ने देशवासियों के मन को झकझोर कर रख दिया था। आज ‘जवान’ भी हमारे ही घरों से निकले हुए ‘परिजन’ हैं, जो 365 दिन देश की सीमाओं और देश के अंदर विचारधाराओं से पोषित आंतकवाद से नागरिकों की सुरक्षा करते हैं। लेकिन जब वे किसी भी विशेष मिशन को अंजाम देते हैं लेकिन उनकी बहादुरी पर राजनीति होना शर्मनाक है। जांच और बिना किसी तथ्य के जवानों की बहादुरी पर सवाल उठाने वालों को कभी देशवासी माफ नहीं करेंगे।

याद होगा कि जब पुलवामा में जवानों की शहादत हुई थी, उसके जिम्मेदार आतंकवाद के खिलाफ भारत ने बालाकोट पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। उस वक्त भी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सीमा पार कार्रवाई हुई थी। पूरा देशवासी जहां खुद पर गर्व महसूस किया कि, मेरा देश अब इन आतंकवादी पोषित देश हो या व्यवस्था बर्दाश्त नहीं करेगा। इस शानदार कार्रवाई पर लोगों की आंखों में खुशी के आंसू निकल पड़े थे। उन आसुंओं की बूंदों में एक उम्मीद और आशा की किरण दिखी। जिसे आज तक केंद्र की सरकार ने कायम भी रखा। जब कश्मीर से 370 धारा खत्म की गई तो विपक्ष ने कहा कि वहां खून की नदियां बह जाएगी। लेकिन इमानदारी से किए केंद्र की मोदी सरकार ने उसे भी नाकाम कर दिया। आतंकवादी घटनाएं पूर्ववर्ती सरकारों की तुलना में संख्या शून्य तक पहुंच गई है।

  • खैर बालाकोट की सर्जिकल स्ट्राइक को फर्जी कहने वाले ‘नेता कहां गए’ जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ने खुद कहा था, कि बालाकोट जैसे सर्जिकल स्ट्राइक जैसे स्ट्राइक की तैयारी में भारत है। यानी जब सीमा के बाहर के लोग कहेंगे तो सर्जिकल स्ट्राइक पर विश्वास करेंगे। अगर देश की सरकार कहेगी तो वे नहीं मानेंगे। ये कैसी विडंबना है। सत्ता पाने के लिए सकारात्मक राजनीति करने से ही देशवासी उनकी भाषा समझेंगे। सवाल देश के कल्याण के बजाए फिजूल के मुद्दों पर जनता की नजर में चढ़ने के बजाए उतर जाएंगे। देश के दो बड़े नासूर हैं, एक आतंकवाद और भ्रष्टाचार है। इसको जड़ से खत्म करने वाला कोई भी उसके साथ जनता खड़ी रहेगी।

एक राजनीतिक जानकार कहते हैं कि विपक्ष को चाहिए केंद्र के सकारात्मक सोच के साथ राजनीति करनी चाहिए। सही को गलत और गलत को सही ठहराने की राजनीति का असर अब होने का समय नहीं है। क्योंकि हर व्यक्ति जानता है कि कौन किस के स्वार्थ में क्या बयान दे रहा है। एक फिल्म का गाना बड़ा मशहूर था, ये पब्लिक है सब जानती है।

आइए छत्तीसगढ़ में 29 नक्सलियों के इनकाउंटर पर मचे सियासी महाभारत की बात करते हैं।

इस वक्त, मीडिया में ‘सुप्रिया बोली-शहीद-घायलों के प्रति संवेदनाएं; गृहमंत्री का जवाब-जिन जवानों को गोली लगी वो क्या फर्जी हैं?’ के शीर्षक से खबरें चल रही हैं।

छत्तीसगढ़ के कांकेर में मंगलवार को हुई मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने 29 नक्सलियों को मार गिराया है। इसे छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा नक्सल एनकाउंटर बताया जा रहा है। वहीं कांग्रेस ने इस पर संदेह जताते हुए जांच की मांग की है। पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि जो लोग शहीद हुए और कुछ हमारे सुरक्षाकर्मी घायल हुए, उनके प्रति हमारी संवेदनाएं हैं। वहीं पूर्व CM भूपेश बघेल का भी बयान सामने आया है। इसमें वे कह रहे हैं कि जब से भाजपा की सरकार बनी है, प्रदेश में फर्जी मुठभेड़ बढ़ गए हैं। हालांकि सियासी विवाद बढ़ने पर बघेल ने कहा कि, उन्होंने यह बयान एनकाउंटर की घटना से पहले दिया था, मुठभेड़ की जानकारी तो बाद में लगी।

  • भाजपा ने नाराजगी जताते हुए कांग्रेस नेताओं के बयानों को दुर्भाग्यजनक बताया है। गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि, जिन दो जवानों से मिलकर आया हूं, उन्हें गोली लगी है, क्या वह फर्जी है? जो नक्सली मारे गए, वो वर्दीधारी थे। उनके पास से एसएलआर, एक-47, इंसास 303 जैसी बंदूकें मिली हैं, क्या यह गलत है?

डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने कहा–जिन जवानों को गोली लगी क्या वो फर्जी है

रायपुर में गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि, भूपेश बघेल कह रहे हैं कि एनकाउंटर फर्जी है, मैं जिन दो जवानों से मिलकर आया हूं। जिन्हें गोली लगी है क्या वह फर्जी है। जो नक्सली मारे गए वो वर्दीधारी थे। सभी 29 वर्दीधारी नक्सली थे, क्या यह गलत है। उनके पास से एसएलआर, एक-47, इंसास 303 जैसी बंदूक मिली है, क्या यह गलत है।

  • गृहमंत्री ने कहा कि, कांग्रेस ने अपने कार्यकाल में 250 सड़क बनाने के लिए कभी ध्यान नहीं दिया। 90 से अधिक पुल पुलिया के लिए कभी ध्यान नहीं दिया। कभी ऑपरेशन के लिए ध्यान नहीं दिया। जब भाजपा के कार्यकर्ताओं की और अन्य लोगों की हत्या होती रही तो घड़ियाली आंसू बहाते रहे। अब इस तरह की बात कर रहे हैं। यह बहुत दुर्भाग्य जनक है। ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए। झीरम को लेकर भूपेश बघेल कहते रहे की सबूत मेरे जेब में है, तो आज तक जेब में ही रखे हुए हैं क्या, निकालते क्यों नहीं है।

क्यों नहीं हो सकती मुठभेड़ फर्जी

गृहमंत्री ने दावा किया है कि क्यों अब तक हुई मुठभेड़ फर्जी नहीं है। उन्होंने नक्सलियों की ओर से जारी बयान को दिखाते हुए कहा कि भूपेश बघेल ने कहा कि फर्जी एनकाउंटर है, इससे पहले नक्सलियों के ओर से कहा गया था कि 50 नक्सली मारे गए। पुलिस विभाग ने आधिकारिक तौर से बताया कि 50 नक्सली एनकाउंटर में मारे गए हैं।

नक्सलियों की मध्य रीजन केंद्रीय ब्यूरो कमेटी ने भी माना कि 50 नक्सली मारे गए हैं। तो कोई कैसे कह सकता है कि यह फर्जी है। मतलब कहने वाले को एक बार सोचना तो चाहिए। जवानों ने अपनी जान की बाजी लगाकर जिस काम को किया है, आप उनका अपमान करेंगे। यह दुर्भाग्य जनक है।

जवान ने दिया मूंछ को ताव

गृहमंत्री ने कहा कि, जब मैं अस्पताल में जवान से मिला, तो मुझे करंट लगा जब मैंने उनसे हाथ मिलाया। वो किस जज्बे के साथ बात कर रहे हैं। जांघ में गोली चीरकर निकली है। वो जवान मुझसे बोला कि मुझे लेकर आ गए मैं तो और लड़ना चाहता था। मतलब गजब है यह जज्बा। कांकेर के दक्षिण में और नारायणपुर के उत्तर में इस ऑपरेशन में बड़ी सफलता मिली है।

हम नक्सलियों से चर्चा को तैयार

गृहमंत्री ने कहा कि, हम बातचीत को तैयार हैं। सरकार हर क्षण हर समय चर्चा के लिए तैयार है। स्पष्टता के साथ हम कह रहे हैं कि कोई एक नक्सली, कोई दो नक्सली, कोई छोटा समूह कोई बड़ा समूह किसी भी माध्यम से वीडियो कॉल से या मेडिएटर के माध्यम से कैसे भी बात करना चाहे हम तैयार हैं।

यह सारा खून खराबा सब समाप्त होना चाहिए। बस्तर के गांव-गांव तक विकास पहुंचना चाहिए। जल जंगल जमीन अगर वह मानते हैं कि आदिवासियों का है, तो हम भी मानते हैं कि जल जंगल जमीन आदिवासियों का है। इसमें कोई संशय नहीं है।

जवानों का अपमान किया

गृहमंत्री ने भूपेश बघेल को लेकर कहा कि, पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक हुई, तो कांग्रेस ने सवाल उठाए। जब इमरान खान ने कहा कि बालाकोट में स्ट्राइक हुई थी तो माना। जब बाहर से कोई बोलता है, तभी मानेंगे अपने लोगों की बात नहीं मानेंगे। अपना जवान कहेगा तो नहीं मानेंगे। यह जवानों का मनोबल तोड़ने वाली हरकत है। इन्हें जवानों से माफी मांगनी चाहिए। नहीं मांगेंगे तो जनता माफ नहीं करेगी। याद रखें इस बात को।

सरकार पर आरोप, फिर जवानों को बधाई

अपने बयान में भूपेश बघेल ने कहा था कि, नक्सलवाद खत्म करने की बात जो कह रहे हैं, 15 साल में 5 साल पहले मिला था। जब डबल इंजन की सरकार थी। 2014 से 2018 तक डबल इंजन की सरकार उनकी थी। उसमें बहुत वृद्धि हुई थी, लेकिन 2018 से लेकर 2023 तक के उसमें काफी कमी आई और अभी फिर से उसमें वृद्धि हुई है।

  • हमने 5 साल में नक्सलियों को बहुत पीछे धकेल दिया था सिमट गए थे, क्योंकि हम लोग गोली का जवाब केवल गोली से देना जरूरी नहीं समझते। बघेल ने कहा कि आज देखे बस्तर जैसे क्षेत्रों में सड़कों का जाल बीछ गया है, तो नक्सली अब बहुत कम रह गए हैं, बल्कि इनके शासन में बहुत वृद्धि हुई है। इस बयान के बाद अब बुधवार को भूपेश का नया बयान आया। उसमें उन्होंने कहा कि, हमारे जवानों को बड़ी सफलता मिली है। उन्होंने बहादुरी से काम किया है। 29 नक्सली मारे गए यह बड़ी घटना है। मैं जवानों को पुनः बधाई देता हूं।

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