अम्बिकापुर। छत्तीसगढ़ का सरगुजा गन्ने की खेती (Sugarcane cultivation in sarguja) के लिए फेमस है. वहीं सरगुजा के कदनाई गांव में युवाओं ने काफी मात्रा में गन्ने की फसल भी लगाई है, लेकिन यहां के किसान गन्ने से बनने वाले देसी गुड़ से काफी ज्यादा अच्छी कमाई (Income from Desi Jaggery) कर रहे हैं. वे बताते हैं, कि गन्ने से देसी गुड़ बनाने से हमारी जिंदगी बदलती जा रही है, और अम्बिकापुर, सीतापुर बतौली, पत्थलगांव, खडगांव सहित जिले के बाहर से भी लोग गुड़ की खरीदारी करने यहां आते हैं. ऐसे में जानते हैं, कि कैसे ये गुड़ बना रहे हैं, और इसे कितने रुपये किलो तक बेचते हैं।
देसी गुड़ बनाने के लिए सबसे पहले किसान गन्ने के खेत से गन्नों की कटाई के बाद उन्हें अपने गुड़ बनाने वाले भट्टे के पास लाते हैं ,इसके बाद पहले गन्ने के रस को निकाला जाता है, फिर गन्ने के रस को कढ़ाई में डालकर भट्टे में गर्म करते हैं. जैसे गुलाब जामुन बनता है, ठीक उसी प्रकार गन्ने के रस को खौलाया जाता है, और जब वह ठंडा होता है, फिर किसान बैठकर इसे गुड़ के समान गोल- गोल आकार में तैयार करते हैं. ये इसे बनाने की देसी विधि है और इस गुड़ में किसी प्रकार का कोई केमिकल नहीं मिलाया जाता है।
वहीं, इस गुड़ बनाने को लेकर लोकल 18 की टीम से किसानों ने बातचीत के दौरान बताया, कि हम प्योर देसी गुड़ तैयार कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं. वे बताते हैं, कि पहले जब हम कोई काम नहीं करते थे, उस वक्त बेहद परेशानी होती थी, लेकिन हमने डेढ़ से दो एकड़ में इस बार गन्ने की खेती की है, और हमारे देसी गुड़ की डिमांड बढ़ गई है, क्योंकि हम जो गुड़ तैयार कर रहे हैं, वह अच्छा और बिना मिलावट का है. ऐसे में हमारे जीवन में अब बदलाव देखने को मिल रहा है और अम्बिकापुर, सीतापुर बतौली, पत्थलगांव, खडगांव सहित जिले के बाहर से भी लोग गुड़ की खरीदारी करने यहां आते हैं.
आगे वे कहते हैं, कि देसी गुड़ सेहत के लिए बेहद लाभदायक होता है, अगर आप सुबह जब गुड़ खाएं, तो मिलावट वाला न खाएं, बल्कि देसी ही खाएं. यह असरदार के साथ-साथ शरीर के लिए लाभदायक होता है।
यह भी पढ़ें : विमान उड़ाने की ट्रेनिंग से जोश में प्रशिक्षु कैडेट्स ! सपना सच हुआ CM साय की पहल से