छत्तीसगढ़ : निर्माणधीन सर्किट हाउस में वन विभाग का छापा

लोक निर्माण विभाग पेंड्रा रोड के द्वारा गुरुकुल परिसर में बनाए जा रहे निर्माणधीन सर्किट हाउस में मरवाही वन मंडल के गौरेला वन परिक्षेत्र के वन

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  • Publish Date - September 24, 2024 / 08:02 PM IST

–लाखों की अवैध सागौन की लकड़ी बरामद

गौरेला पेंड्रा मरवाही। लोक निर्माण विभाग पेंड्रा रोड के द्वारा गुरुकुल परिसर में बनाए जा रहे निर्माणधीन सर्किट हाउस(Circuit House under construction) में मरवाही वन मंडल के गौरेला वन परिक्षेत्र के वन अमले ने बड़ी कार्रवाई करते हुए सर्च वारेंट के साथ दबिश देकर बड़ी मात्रा में सागौन की अवैध लकड़ी जब्त(Illegal teak wood seized) की है। वन अधिकारियों की दबिश से हड़कंप मच गया। जांच के दौरान बेशकीमती सागौन की लकड़ी से बनाए गए फर्नीचर, फाटक खिड़की दरवाजे और सिलपट मौके पर पाए गए। वन विभाग की इस इमारती लकड़ी जब्ती कार्रवाई के दौरान लोक निर्माण विभाग का कोई भी अधिकारी, इंजीनियर और ठेकेदार मौके पर मौजूद नहीं मिला। वहीं, वन विभाग के अनुसार सारी सागौन की इमारती लकड़ी बिना किसी दस्तावेज के लगाई जा रही है। जांच के बाद ही तय हो पाएगा कि लोक निर्माण विभाग के नए बन रहे इस सर्किट हाउस में इतनी बड़ी मात्रा में से लकड़ी कहां से आई है। माना जा रहा कि नए बन रहे इस सर्किट हाउस में लगभग 12 से 15 लाख की अवैध लकडिय़ों से खिड़क़ी, दरवाजे और अन्य फर्नीचर बनाये जा रहे।

वहीं, गौरेला रेंजर ने बताया कि लगभग 4.8 घन मीटर कुल लकड़ी जब्ती की कार्रवाई की गई है, जिसमें 3.4 घन मीटर की लकडिय़ों से दरवाजे लगाए जा चुके हैं, जिस पर कार्रवाई की जाएगी। गौरेला रेंजर के अनुसार प्रथम दृष्टया ये सारी सागौन की लकड़ी अवैध है। वहीं, छापा मार कार्रवाई किसी ने भी अपना दावा प्रस्तुत नहीं की है। छापामारी के दौरान वन विभाग लगातार लोकनिर्माण विभाग के अधिकारी इंजीनियर और ठेकेदार को मौके पर बुलाने का प्रयास करता रहा, लेकिन सब टालमटोल जवाब देते रहे जो कि संदेह के दायरे में आता है।

सवाल के कठघेरे में : खिड़की, दरवाजे और फर्नीचर

गौरेला गुरुकुल परिसर में बन रहा नया लोकनिर्माण विभाग का सर्किट हाउस, 2 करोड़ 90 लाख रुपये की लगभग लागत का है। सवाल यह उठता है कि नवनिर्माणधीन इस नए रेस्ट हाउस में यदि इतनी बड़ी मात्रा में अवैध लकडिय़ों का इस्तेमाल खिड़की, दरवाजे और फर्नीचर बनाने में किया जा रहा है तो विभाग के ईई, एसडीओ और इंजीनियर को इस बात की जानकारी नहीं थी क्या?