रायपुर: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने रिटायर्ड IAS अधिकारी और पूर्व आबकारी आयुक्त निरंजन दास को गिरफ्तार कर लिया है। निरंजन दास पर घोटाले के सिंडिकेट को ऑपरेट करने और राज्य सरकार को भारी राजस्व नुकसान पहुंचाने का आरोप है। जांच में सामने आया है कि निरंजन दास ने पूर्व IAS अनिल टुटेजा, कारोबारी अनवर ढेबर और तत्कालीन विशेष सचिव अरुणपति त्रिपाठी के साथ मिलकर शराब घोटाले का पूरा नेटवर्क खड़ा किया था।
EOW की चार्जशीट के अनुसार, इस सिंडिकेट ने सरकारी शराब दुकानों पर कमीशन तय करने, डिस्टलरियों से अतिरिक्त शराब बनवाने, विदेशी ब्रांड की अवैध सप्लाई कराने और नकली होलोग्राम के जरिए शराब बेचने जैसे कई गैरकानूनी काम किए। इन गतिविधियों से राज्य सरकार को हजारों करोड़ का नुकसान हुआ।
निरंजन दास पर नोएडा की प्रिज्म होलोग्राफिक सिक्योरिटी फिल्म्स को गलत तरीके से टेंडर दिलाने का भी आरोप है। कंपनी अयोग्य होने के बावजूद टेंडर की शर्तें बदली गईं और उसे काम दिया गया। इसके बाद डुप्लीकेट होलोग्राम के जरिए नकली शराब की बिक्री को वैध दिखाया गया, जिससे हर होलोग्राम पर आठ पैसे का कमीशन तय किया गया।
जांच में यह भी सामने आया कि निरंजन दास ने झारखंड की आबकारी नीति बदलवाने की साजिश भी की थी। जनवरी 2022 में ढेबर और त्रिपाठी के साथ झारखंड के अधिकारियों से बैठक कर छत्तीसगढ़ मॉडल को वहां लागू कराया गया।
रिटायरमेंट के बाद फरवरी 2023 में निरंजन दास को संविदा पर दोबारा आबकारी आयुक्त बनाया गया था। उनकी अग्रिम जमानत याचिकाएं कई बार खारिज हो चुकी थीं। अब EOW उन्हें रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी और माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में घोटाले के और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।
