रायपुर| 14 से 17 दिसंबर तक चलने वाले छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र में धर्मांतरण संशोधन विधेयक (anti conversion law) मुख्य मुद्दा रहेगा। गृहमंत्री विजय शर्मा (Vijay Sharma) ने पुष्टि की है कि यह विधेयक इस सत्र में पेश किया जाएगा। प्रस्तावित संशोधन में धर्म परिवर्तन के लिए कड़े नियम, 60 दिन पहले सूचना की अनिवार्यता और उल्लंघन पर सख्त सजा का प्रावधान शामिल है।
गृहमंत्री विजय शर्मा ने मीडिया से चर्चा में बताया कि नए विधेयक के जरिए धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया को और स्पष्ट, नियंत्रित और वैधानिक बनाया जाएगा। इस विधेयक के मसौदे पर काम करने के लिए उन्होंने 52 बैठकों में विस्तृत चर्चा की। मसौदा तैयार करते समय 9 राज्यों के कानूनों का अध्ययन किया गया, ताकि छत्तीसगढ़ में भी एक मजबूत और स्पष्ट नियम बनाया जा सके।
कमेटी सदस्यों के अनुसार, ड्राफ्ट इस तरह तैयार किया गया है कि किसी एक धर्म से दूसरे धर्म में जाना एक तय प्रक्रिया के तहत ही संभव होगा। बिना अनुमति, दबाव, प्रलोभन या धोखे से कराए गए धर्म परिवर्तन पर जेल और सख्त सजा का प्रावधान किया जाएगा। नई व्यवस्था के तहत छत्तीसगढ़ सरकार धार्मिक स्वतंत्रता कानून भी लागू करने जा रही है।
आदिवासी क्षेत्रों—विशेषकर बस्तर, जशपुर और रायगढ़ में धर्मांतरण को लेकर लंबे समय से विवाद जारी है। बस्तर के नारायणपुर क्षेत्र में तो यह मामला गुटीय संघर्ष तक पहुंच चुका है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण की प्रक्रिया को वैधानिक रूप से मान्यता देने वाला कोई स्पष्ट नियम नहीं है, जिससे कई बार लोग प्रभाव में आकर स्वयं धर्म बदल लेते हैं और बाद में विवाद उत्पन्न होते हैं।
प्रस्तावित नियम के तहत, यदि कोई व्यक्ति निर्धारित प्रक्रिया से बाहर जाकर धर्म परिवर्तन करता है, तो उसे वैध नहीं माना जाएगा। जबरन या लालच देकर धर्म परिवर्तन कराने वालों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। गृह विभाग अन्य राज्यों के कानूनों की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी एक मजबूत मॉडल तैयार कर रहा है।
धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत हर व्यक्ति को अपने पसंदीदा धर्म का पालन व अभ्यास करने का अधिकार है, लेकिन सरकार इसे नियंत्रित और स्पष्ट कानून के साथ लागू करना चाहती है ताकि सामाजिक तनाव और विवाद कम हो सकें।
