छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध सुगंधित ‘चावल’ प्रजाति नगरी दुबराज को मिला ‘जीआई टैग’
By : hashtagu, Last Updated : March 30, 2023 | 3:16 pm
इसके विपणन एवं निर्यात में आसानी होगी। जी.आई. टैग एक प्रकार का बौद्धिक संपदा अधिकार होता है जिसमें किसी भी उत्पाद की गुणवत्ता एवं महत्ता उस स्थान विशेष के भौगोलिक वातावरण से निर्धारित की जाती है। इसमें उस उत्पाद के उत्पत्ति स्थान को मान्यता प्रदान की जाती है। उल्लेखनीय है कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय एवं छत्तीसगढ़ शासन द्वारा विगत कुछ वर्षां से नगरी दुबराज को जी.आई. टैग की प्राप्ति हेतु लगातार प्रयास किये जा रहे थे। नगरी दुबराज को जी.आई. टैग अधिकार दिलवाने में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है तथा इस संबंध में बौद्धिक संपदा अधिकार प्राधिकरण के साथ निरंतर पत्राचार किया है।
छत्तीसगढ़ शासन एवं कृषि विश्वविद्यालय की मेहनत रंग लाई
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के बासमती के रूप में विख्यात नगरी दुबराज चावल राज्य की पारंपरिक, सुगंधित धान प्रजाति है, जिसकी छत्तीसगढ़ के बाहर भी काफी प्रसिद्धि तथा मांग है। नगरी दुबराज का उत्पत्ति स्थल सिहावा के श्रृंगी ऋषि आश्रम क्षेत्र को माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्रृंगी ऋषि आश्रम का संबंध राजा दशरथ द्वारा संतान प्राप्ति हेतु आयोजित पुत्रेष्ठि यज्ञ तथा भगवान राम के जन्म से जुड़ा हुआ है। विभिन्न शोध पत्रों में दुबराज चावल का उत्पत्ति स्थल नगरी सिहावा को ही बताया गया है।
पिछले कुछ वर्षां से नगरी क्षेत्र में दुबराज चावल की खेती रकबा निरंतर कम हो रहा था। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने पिछले वर्ष नगरी के किसानों को दुबराज की खुशबु लौटाने का वायदा किया था जो इसे जी.आई. टैग मिलने से पूर्ण होना संभव हो सकेगा। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने नगरी दुबराज को जी.आई. टैग मिलने पर कृषक उत्पादक समूह को बधाई एवं शुभकानाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के प्रयासों से वर्ष 2019 में सरगुजा जिले के ‘‘जीराफूल’’ चावल के पश्चात अब दुबराज चावल को जी.आई. टैग मिलना एक बड़ी उपलब्धि है।